रामपुर। मैंने अपने नेता मोहम्मद आज़म खान साहब से अवाम के मफाद के लिये समाजवादी पार्टी से टिकट माँगा है। इस ओहदे से कहीं ज़्यादा मेरी तालीम और सालाहियत है। पार्टी से टिकट देने का पूरा इख़्तियार मोहतरम आज़म खान साहब को है। आज से 26 साल पहले मैं उनके साथ जुड़ा। आज तक हर अच्छे-बुरे दौर में मैं उनके साथ रहा हूँ।
पूरा रामपुर गवाह है कि जिस कठिन वक़्त में आज़म खान साहब जब सीतापुर जेल में अपनी पत्नी और पुत्र अब्दुल्लाह आज़म खान के साथ अपनी जिंदगी का सबसे सख्त और आज़माइश का वक़्त गुज़ार रहे थे, उस वक़्त उनका पक्ष रखने वाला सिर्फ मैं और सिर्फ मैं था.. बाक़ी सारे नेता बिलो में घुसे हुए थे।
अखिलेश यादव तक से मैं आज़म खान साहब के लिए लड़ा, अखिलेश यादव बिलकुल खामोश थे, उनको मैंने ललकारा, मैंने सोशल मीडिया और उर्दू मीडिया को आज़म खान के पक्ष मे एक जरिया बनाकर अखिलेश यादव को आज़म खान के लिए बोलने पर मजबूर किया। हम पर भी मुकदमे हुए, आज भी हाई कोर्ट का स्टे आर्डर जेब मे रखकर शहर में निकलता हूँ। आज़म खान साहब की वजह से मुझ पर मुक़दमे लगे, घर से फरार होना पड़ा, लेकिन मैं आज भी पूरी वफादारी से उनके साथ हूँ। तीन बार का M .A हूँ, वकालत की पढ़ाई भी पढ़ी है… अब तक जितने भी नाम शहर में चर्चा किये जा रहे हैं, उनमे सबसे ज़्यादा मैं मक़बूल हूँ। लोग मुझसे बेहद मोहब्बत करते हैं, सब उमीदवारो में
मैं ही वोह चेहरा हूँ, जिसके नाम पर रिकॉर्ड वोटो से समाजवादी पार्टी की जीत हो सकती है।
इस दौर में जब लोग समाजवादी पार्टी का नाम लेते हुए भी सहम रहे हैं, उस सख्त वक़्त मे मैं आज़म खान साहब से टिकट मांग रहा हूँ।
क्योंकि पहले ही एक ही परिवार के उमीदवार से उनके भ्र्ष्टाचार से लोग तंग आ चुके हैं। सारा फैसला आज़म खान साहब को लेना है, हम हर हाल मे उनके साथ हैं।
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