(मो. शाह नबी)
रामपुर। ऑल इंडिया मुस्लिम इत्तेहाद कॉउन्सिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मुईन हसन खान पठान ने अब्दुल्लाह आज़म की सदस्य्ता जाने पर कहा कि अदालत से जो फैसले आ रहे हैं वो दरअसल हम लोगों के साथ की गई आज़म खान साहब की ना इंसाफ़ी का आसमानी अल्लाह की तरफ से बदला है, मैंने 26 साल अपनी ज़िन्दगी के आज़म खान साहब को दें दिए, मैं अरबो रूपये की ठेकेदारी नहीं करना चाहता था और ना ही मैंने की, आज़म खान को मालुम था मैं किसी भी विधान सभा क्षेत्र से विधायक बनाया जा सकता हूं, चमरव्वा से मुझे वादा करके नहीं लड़ाया, 2017 में अपने दूध पीते हुए ना बालिग़ बेटे को अपनी सरकार की ताकत पर चुनाव लड़कर जीता दिआ, आज़म खान पर हर कठिन से कठिन वक़्त में हमने साथ दिआ, तो उनको भी हम जैसे योग्य लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाना चाहिए था, 2 विधान सभा सीटें अखिलेश यादव ने सजाकर आज़म खान को दीं उसमें से एक सीट पर मुझे विधान परिषद भेजा जा सकता था। आसिम राजा जैसे अयोग्य इंसान को दोबारा टिकट दिया जोकि मुझे दिया जाना चाहिए था। मेरा टिकट फिर काट दिया। तब मैंने खुलकर उनका विरोध किया और आज़म खान को अपनी राजनैतिक ताकत भी मैंने दिखा दी।
मुईन पठान ने कहा आज भी हमारा अखिलेश यादव से कोई झगड़ा नहीं है, न ही मैंने कोई पार्टी ज्वाइन की है।
हाँ मैंने आज़म खान के गलत फैसले का विरोध किया है और मित्र भाव से मैंने आकाश सक्सेना को खुलकर चुनाव लड़ाया, उनका समर्थन किया,
आज़म खान ने हमारी हर योग्यता को देखते हुए भी इसलिये राजनीति में आगे नहीं बढ़ने दिया, क्योंकि वो अपने बेटे को राजनीति में अपने जैसा स्थान देना चाहते थे। जबकि अब्दुल्लाह आज़म में आज़म खान जैसा एक भी राजनैतिक गुण नहीं है। लोग उनको केवल आज़म खान के बेटे के रूप में देखते हैं। हम आज़म खान के सच्चे वफादार थे और हम चाहते थे कि हम राजनीति में आगे आएं आवाम की खिदमत करें। आज़म खान हमें मौक़ा देते तो उत्तर प्रदेश की विधान सभा में रोज़ आज़म खान की हम चर्चा करते, हमारे साथ की गई ना इंसाफ़ी का अल्लाह बदला ले रहा है।
जैसे-जैसे एक ही छत के नीचे सारे पद इकठ्ठा किये थे, सबके सब अल्लाह ने छीन लिये। अफ़सोस भी होता है कि आज़म खान अगर अपने बेटे के मशवरों पर अगर ना चले होते तो उनको यह दिन देखने नहीं पड़ते। मुईन पठान ने कहा लखनऊ-दिल्ली में आज भी मेरी समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाक़ातें होती हैं। वो लोग भी कहते हैं कि आज़म खान के चिराग़ ने ही उनके मज़बूत राजनैतिक कैरियर को ख़त्म कर दिया, मुईन पठान ने आखिर में कहा कि स्वार-टांडा की जनता केवल सरकार के प्रत्याशी को ही जिताएं, क्योंकि सरकार पक्ष का विधायक होगा तो विकास ही विकास होगा। अगर अब्दुल्लाह का कोई जुआरी दोस्त समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी होता है तो उसकी ज़मानत ही ज़ब्त होगी।
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