मुस्लिम विरोधी बयान देने वाले पिंकी चौधरी को नही मिली अग्रिम ज़मानत,कोर्ट ने कहा यह तालिबान स्टेट नही
नई दिल्ली
दिल्ली के जंतर-मंतर पर कथित भड़काऊ नारेबाजी के मामले में हिंदू रक्षा दल के नेता पिंकी चौधरी को पटियाला हाउस कोर्ट से राहत नहीं मिली। पिंकी चौधरी की अग्रिम जमानत अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत ने जंतर-मंतर पर लगाए गए मुस्लिम विरोधी नारों के सिलसिले में आरोपी हिंदू रक्षा दल के अध्यक्ष पिंकी चौधरी को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया।
अग्रिम ज़मानत देने से इन्कार करते हुये कोर्ट ने काफी सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि हमारे यहां तालिबान का शासन नहीं हैं। कानून भी कुछ है और हम कानून का पालन करने वाले देश में रहते हैं।
कानून का राज ही हमारे बहुसांस्कृतिक समाज में सबसे पवित्र शासन सिद्धांत है। ऐसे में इस तरह के लोगों को राहत नहीं दी जा सकती है।
अदालत ने अग्रिम जमानत पर सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील से पूछा था कि क्या वीडियो में कहे गए शब्द वास्तव में उनके मुवक्किल के हैं। अधिवक्ता जैन ने माना था कि शब्द उनके मुवक्किल के ही हैं।
पुलिस की ओर से पेश अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सभी तथ्यों व साक्ष्यों से स्पष्ट है कि आरोपी विभिन्न धर्मों के बीच शत्रुता को बढ़ावा दे रहा है। आरोपितों द्वारा लोगों के दो गुटों को उकसाया जा रहा है। उन्होंने कहा यह गंभीर आरोप देश के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि आरोपित के खिलाफ अन्य धाराओं के अलावा आईपीसी की धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कृत्य करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा आरोपित से हिरासत में पूछताछ करनी है। ऐसे में अग्रिम जमानत आवेदन खारिज की जाए।
बचाव पक्ष ने तर्क रखा था कि उनके मुवक्किल का इरादा हिंसा का नहीं था। यदि पूरे मामले को ध्यान से देखा जाए तो स्पष्ट है कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल का नाम प्राथमिकी में नहीं है और न ही उसने कोई नारे लगाए।
अदालत ने कहा कि आरोपित पर गंभीर आरोप हैं और विडियो क्लिप में वह एक समुदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करता हुआ दिखाई दे रहा है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने अपने फैसले में कहा कि जंतर मंतर पर यूट्यूब न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में भी आरोपी ने ऐसे आपत्तिजनक भाषण दिए। जिससे दो समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने का प्रयास किया गया है। आरोपी का रवैया अलोकतांत्रिक है।
अदालत ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा थाी कि आखिर पुलिस ने यूट्यूब न्यूज चैनल के रिपोर्टर से पूछताछ क्यों नहीं की, जबकि वह लोगों को उकसाने के लिए जानबूझकर आपत्तिजनक सवाल कर रहा था।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के जंतर मंतर पर भारत छोड़ाे आंदोलन की वर्षगांठ पर अश्विनी उपाध्याय ने जंतर मंतर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। कार्यक्रम के दौरान कुछ लोगों ने एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक नारेबाजी की थी और अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। जिसके बाद इसका वीडियो वायरल हो गया था और उसी का संज्ञान लेकर दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई की थी।