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उठते प्रश्न: विराट वैश्य व्यापारी महाकुंभ या विराट भाजपाई वैश्य व्यापारी महाकुंभ

उठते प्रश्न

विराट वैश्य व्यापारी महाकुंभ या विराट भाजपाई वैश्य व्यापारी महाकुंभ

(शमशाद रज़ा अंसारी)
ग़ाज़ियाबाद। जनपद के कमला नेहरू नगर मैदान पर 19 दिसम्बर को आयोजित होने वाला विराट वैश्य व्यापारी महाकुंभ आयोजित होने से पहले ही सुर्ख़ियों में आ गया है। एक तरफ़ जहाँ आयोजकों द्वारा इसे वैश्य समाज की ताकत का एहसास कराने वाला आयोजन बता कर प्रचारित किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर वैश्य समाज के लोग ही इसे भाजपा का कार्यक्रम बता कर इससे किनारा कर रहे हैं। वैश्य समाज के प्रबुद्ध लोगों द्वारा इसे वैश्य व्यापारी महाकुंभ की जगह भाजपा का कार्यक्रम बताया जा रहा है।

अभिषेक गर्ग


सपा नेता और पूर्व मेयर प्रत्याशी अभिषेक गर्ग ने वैश्य समाज के नाम पर हो रहे सम्मेलन पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या इस सम्मेलन का न्यौता किसी ग़ैर भाजपाई वैश्य या व्यापारी को दिया गया है। क्या किसी ग़ैर भाजपाई विचारधारा के व्यक्ति को कार्यक्रम के आयोजन से सम्बंधित किसी बैठक में बुलाया गया। यह कार्यक्रम पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी का कार्यक्रम है। भाजपा नेताओं ने समस्त वैश्य एवं व्यापारी समाज का नाम लेकर गुमराह करने का काम किया है। भाजपा नेताओं से प्रश्न करते हुए अभिषेक गर्ग ने कहा कि कार्यक्रम को आयोजित करने वाले नेता केवल वह काम बताएं जो उनकी पार्टी ने वैश्य समाज एवं व्यापारियों के उत्थान के लिए किये हों। यदि वह न गिना सकें तो भविष्य में वैश्य एवं व्यापारी समाज के उत्थान के बारे में अपनी योजना बताएं। अगर दोनों ही बिंदुओं पर वह कुछ नही बोल सकते तो फिर वह क्यों वैश्य व्यापारी समाज का नाम इस्तेमाल कर रहे हैं। चुनाव नज़दीक आने के बाद भाजपा वैश्य व्यापारी समाज की दलाली करना चाहती है। इसके अलावा यह सम्मेलन कुछ भी नही है। भाजपा ने नोटबन्दी एवं जीएसटी द्वारा व्यापार चौपट कर दिया है। लॉकडाउन के दौरान व्यापारियों का साथ नही दिया गया। ग़लत सरकारी नीतियों के तहत व्यापारियों का उत्पीड़न किया गया। इतना ही नही अधिकारियों ने भी व्यापारियों का उत्पीड़न किया। व्यापार चौपट करने के बाद भाजपाई किस मुँह से वैश्य व्यापारी समाज के उत्थान की बात कर रहे हैं।
अभिषेक गर्ग ने कहा कि महाकुंभ को समस्त वैश्य समाज का समर्थन न मिलने के बाद इसे वैश्य व्यापारी महाकुंभ का नाम दिया गया और इसमें अन्य बिरादरी के व्यापारियों को भी शामिल किया गया। लेकिन वैश्य समाज को भ्रमित करने के लिए इसमें से वैश्य शब्द नही हटाया। आयोजक स्वयं असमंजस में हैं कि यह वैश्य व्यापारी महाकुंभ है या भाजपाई व्यापारी महाकुंभ है। व्यापारी 2022 के चुनाव में भाजपा को मुँहतोड़ जवाब देगा।

मनीष मित्तल


सपा नेता एवं व्यापारी मनीष मित्तल ने कहा कि कौन कहता है यह वैश्य समाज का सम्मेलन है। यह पूरी तरह सिर्फ और सिर्फ भाजपा का सम्मेलन है। इसे वैश्य समाज का सम्मेलन बताने वाले सांसद अनिल अग्रवाल बताएं कि उन्होंने विपक्ष के किस व्यापारी या अधिकारी को निमन्त्रण भेजा है। बीजेपी को उत्तर प्रदेश से सरकार जाती हुई दिख रही है। इसलिये वैश्यों के नाम पर यह सम्मेलन करके लोगों को गुमराह किया जा रहा है।

विभिन्न संगठन बनने से कमज़ोर हुई है व्यापारी एकता

एक समय था जब जनपद के व्यापारियों का शासन से लेकर प्रशासन तक में बोलबाला रहा करता था। व्यापारियों के छोटे से छोटे मामलों पर संज्ञान लिया जाता था। लेकिन समय के साथ-साथ व्यापारी एकता पर आपसी गुटबाजी तथा राजनीति हावी होने लगी। जिस कारण व्यापारियों के कई संगठन वजूद में आ गये और सब अपनी ढपली अपना राग अलापने लग गए। इसका परिणाम यह हुआ कि शासन तो दूर की बात है, प्रशासन तक में व्यापारियों की सुनवाई होनी बन्द हो गई। इसका जीवंत उदाहरण व्यापारियों के साथ नगर कोतवाली क्षेत्र में हुए ताज़ा मामले हैं। जिनमें व्यापारियों की ख़ूब किरकिरी हुई।
नगर कोतवाली के नवयुग मार्किट चौकी क्षेत्र में ताबड़तोड़ चोरियों की वारदातें हुईं। जिनमें से मोबाइल व्यापारी के यहाँ हुई लाखों की चोरी का आधा अधूरा ही खुलासा हुआ। व्यापारी मुकेश गुप्ता के यहाँ 6 नवम्बर को दिनदहाड़े हुई एक करोड़ से अधिक की चोरी का डेढ़ माह बाद भी खुलासा नही हो सका है। इन चोरियों को लेकर व्यापारियों ने एसएसपी से मुलाक़ात की, प्रदर्शन करते हुए अल्टीमेटम भी दिया, लेकिन व्यापारियों की कमज़ोरी को भाँपते हुए नगर कोतवाल से लेकर किसी सिपाही तक पर कोई गाज़ नही गिरी। भाजपा एमएलसी के पुत्र द्वारा साथियों के साथ मिलकर व्यापारी के परिवार के साथ व्यापारियों का गढ़ कहे जाने वाले नगर कोतवाली क्षेत्र के ही रमतेराम रोड पर जमकर मारपीट की गई। व्यापारी एकत्रित होकर कोतवाली पहुँचे लेकिन फिर भी इस मामले में पुलिस द्वारा पीड़ित व्यापारी पर ही मुकदमा दर्ज किया गया।
यह मामले बताते हैं कि व्यापारियों के विभन्न संगठन बनने, राजनीति हावी होने एवं आपसी फूट होने की वजह से उनकी सुनवाई होनी बन्द हो गई है।

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