Header advertisement

देश में एक हफ्ते में रिकॉर्ड 61 हजार कोरोना केस, क्या फिर लॉकडाउन?

नई दिल्ली: देश में ज्यादातर पाबंदियां हटा लेने के बीच कोरोना के संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है, पिछले एक सप्ताह में देश में करीब 61 हजार मामलों का उछाल आया है, इस कारण शुक्रवार को भारत कोरोना प्रभावित देशों की लिस्ट में इटली से आगे होकर छठे स्थान पर पहुंच गया, ऐसे में चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों को लगता है कि अगर हालात नियंत्रण से बाहर हुए तो लॉकडाउन फिर लगाना पड़ सकता है, उधर, भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान के एक सीनियर डॉक्टर ने यह कहकर सरकार पर नाराजगी प्रकट की कि महामारी से निपटने की रणनीति विशेषज्ञों के बजाए नौकरशाह बना रहे हैं, 

दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के फेफड़ा रोग विभाग के निदेशक डॉ. विकास मौर्य ने कहा, ‘जब चरणों में लॉकडाउन खोला जाएगा तो मामलों में इजाफा होगा, बुनियादी रूप से लॉकडाउन का इस्तेमाल महामारी से निपटने और उसके प्रकोप को रोकने की तैयारी के लिए किया जाता है,’ उन्होंने कहा, ‘जब चरणों में लॉकडाउन खोला जाएगा तो मामले बढ़ेंगे, लेकिन महत्वपूर्ण इस बात का ध्यान रखना है कि हालात बेकाबू नहीं हों और अगर ऐसा होता है तो लॉकडाउन दोबारा लगाना पड़ेगा,’ 

फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज के फेफड़ा रोग विभाग के निदेशक डॉ. विवेक नांगिया ने भी कहा कि मामलों का तेजी से बढ़ना चिंताजनक है, उन्होंने कहा कि मॉलों और धर्मस्थलों को खोलना अभी जल्दबाजी है क्योंकि लोगों का जमा होना शुरू हो जाएगा और चीजें नियंत्रण से बाहर हो जाएंगी, जानेमाने फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि लोग स्वत: लॉकडाउन का पालन करते रहें और इन चार महत्वपूर्ण सिद्धांतों को अमल में लाएं कि अत्यावश्यक नहीं हो तो बाहर नहीं जाएंगे, हमेशा मास्क पहनेंगे, दूरी बनाकर रखेंगे और हाथ धोते रहेंगे, उन्होंने कहा, ‘फिलहाल तो हालात दोबारा लॉकडाउन लगाने के नहीं हैं, लेकिन अगर परिस्थिति बेकाबू हो गई तो फिर से बंद की ओर लौटना पड़ सकता है,’ सर गंगा राम अस्पताल से जुड़े डॉ. कुमार ने इस बात पर भी जोर दिया कि धर्मस्थलों और मॉलों को खोलने की अनुमति देना जल्दबाजी वाला फैसला है क्योंकि यह सुनिश्चित करना बहुत मुश्किल होगा कि लोग नियमों का उल्लंघन नहीं करें, 

इधर, एम्स के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने की सरकारी नीतियों एवं संचार रणनीतियों की निंदा करते हुए कहा है कि इन्हें महामारी से निपटने वाले विशेषज्ञों और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बजाए नौकरशाह चला रहे हैं, एम्स में जठरांत्र विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. अनूप सराया ने ‘इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के संपादक को लिखे पत्र में कहा कि वैज्ञानिकों के किसी भी सलाहकार समूह की सफलता ‘खुलेपन की संस्कृति, स्वतंत्रता और विचारों की विविधता’ पर निर्भर करती है, उन्होंने लिखा, ‘दुर्भाग्य की बात यह है कि वैश्विक महामारी पर सरकार की वैज्ञानिक सलाहकार समितियों के संदर्भ में खुलेपन की यह संस्कृति नजर नहीं आती, संभवत: इसका कारण यह है कि इन समितियों में केवल सरकारीकर्मी ही सदस्य हैं,’ 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में शुक्रवार को संक्रमण के एक दिन में रेकॉर्ड 9,851 मामले सामने आए जबकि 273 लोगों की मौत हो गई, इसके बाद देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या जहां 2,26,770 पर पहुंच गई है, वहीं मौत का आंकड़ा 6,348 पर पहुंच गया है, लगातार तीन दिन से मामलों में अत्यधिक वृद्धि दर्ज की जा रही है, इस समय भारत संक्रमण के मामलों की संख्या के लिहाज से दुनिया का छठा सबसे प्रभावित देश है, उससे पहले अमेरिका, ब्राजील, रूस, ब्रिटेन और स्पेन आते हैं, 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर कुछ आंकड़े साझा किए हैं जिनके अनुसार स्पेन, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन जैसे अधिकतर देशों ने अपने-अपने यहां लॉकडाउन तथा पाबंदियों को तब हटाया जब उनका कोविड-19 का ग्राफ या तो समतल हो गया या नीचे की ओर जाने लगा, भारत में कोविड-19 का ग्राफ लॉकडाउन की अवधि में भी लगातार बढ़ता रहा जहां 31 मई को समाप्त हुए बंद के चौथे चरण में और उसके बाद संक्रमण के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है



No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *