नई दिल्ली : मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी वापस भेजने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में आज यूपी सरकार और पंजाब सरकार के वकीलों के बीच तीखी नोकझोंक हुई.
वहीं मुख्तार की तरफ से दलील दी गई कि यूपी में उसकी जान को खतरा है इसलिए उसे दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए, सुनवाई आज अधूरी रही, जस्टिस अशोक भूषण और सुभाष रेड्डी की बेंच इसे कल जारी रखेगी.
सुनवाई की शुरुआत मुख्तार के वकील मुकुल रोहतगी से हुई, रोहतगी ने कहा कि मुख्तार 5 बार एमएलए रहा है, यूपी में उसकी जान को खतरा है, कुछ मामलों में उसके साथ उसके आरोपी रहे मुन्ना बजरंगी को राज्य की एक जेल से दूसरी जेल ले जाते वक्त मार दिया गया था.
अगर विवाद इस बात पर है कि वह पंजाब की जेल में क्यों है तो उसके खिलाफ सभी मुकदमों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए, इस पर कोर्ट ने कहा कि उनकी तरफ से रखी गई बातों पर विचार किया जाएगा.
इसके बाद यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जिरह शुरू की, उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला फिल्मी साज़िश जैसा है, पहले पंजाब में एक केस दर्ज करवाया गया, फिर पंजाब पुलिस यूपी की बांदा जेल पहुंच गई.
कानून को अच्छी तरह से जानने वाले बांदा जेल सुपरिटेंडेंट ने बिना कोर्ट की इजाज़त लिए उसे पंजाब पुलिस को सौंप दिया, मेहता ने कहा पंजाब पुलिस और मुख्तार के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा पंजाब पुलिस कहती है कि उसे एक व्यापारी ने शिकायत दी थी, कहा था कि किसी अंसारी ने उन्हें रंगदारी के लिए फोन किया, अगर यह फोन वाकई मुख्तार ने ही किया था तो जनवरी 2019 से लेकर अब तक अब तक चार्जशीट क्यों नहीं दाखिल की गई है.
मुख्तार गिरफ्तारी के 60 दिन के बाद डिफॉल्ट बेल का अधिकारी था, लेकिन 2 साल से न पंजाब पुलिस कोई आगे की कार्रवाई कर रही है, न मुख्तार ज़मानत मांग रहा है, यह न्यायिक प्रक्रिया का मज़ाक है.
सॉलिसीटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि रोपड़ जेल अधिकारियों ने यूपी की कोर्ट से जारी तमाम वारंट की उपेक्षा कर दी, कह दिया कि वह स्वस्थ नहीं है, लेकिन उसी दौरान वह दिल्ली की कोर्ट में पेश हुआ.
रोपड़ जेल के डॉक्टरों ने अजीबोगरीब मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए, कभी लिखा कि मुख्तार का गला खराब है, कभी लिखा कि उसके सीने में दर्द है, इस मामले में सिर्फ यूपी की अदालतों को ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट को भी गुमराह किया जा रहा है.
तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना की कि वह न्याय के हित में अपनी विशेष शक्ति का इस्तेमाल करे, आरोपी को वापस यूपी भेजे, पंजाब में दर्ज मुकदमे को भी यूपी ट्रांसफर करे, उन्होंने पंजाब की इस दलील को गलत बताया कि राज्य सरकार अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका नहीं कर सकती.
मेहता ने कहा यह सही है कि राज्य का मौलिक अधिकार नहीं होता, लेकिन उन नागरिकों का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है, जो इन आपराधिक मामलों के पीड़ित हैं.
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