जामिया में जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. ऑगस्टो लोपेज़ क्लारोस का व्याख्यान
नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के राजनीति विज्ञान विभाग ने बुधवार 23 नवंबर, 2022 को विश्वविद्यालय के दयार-ए-मीर तकी मीर कॉन्फ्रेंस हॉल में ग्लोबल गवर्नेंस फोरम के कार्यकारी निदेशक, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. ऑगस्टो लोपेज़ क्लारोस द्वारा ‘कोविड के बाद की दुनिया में आर्थिक शासन’ पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया। राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एम. मुस्लिम खान ने विशेषज्ञों, अर्थशास्त्री डॉ. ऑगस्टो लोपेज़ क्लारोस और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण मंच के अध्यक्ष डॉ. आर्थर एल डाहल का परिचय कराया।
कार्यक्रम की संयोजक जामिया के राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर बुलबुल धर जेम्स ने दक्षता बनाम लचीलापन, पूंजीवाद का भविष्य, औद्योगिक नीति, बढ़ती आर्थिक गतिविधि और सरकार तथा संस्थानों की भूमिका के बारे में दृष्टिकोण के संदर्भ में महामारी के अपरिवर्तनीय प्रभाव के साथ चर्चा के लिए मंच तैयार किया। सेफ्टी नेट ल और अधिक समावेशी सामाजिक अनुबंध के माध्यम से संस्थान लोगों की सहायता कैसे करते हैं, इसमें दीर्घकालिक बदलाव की संभावना है।
जामिया की वाइस चांसलर प्रो. नजमा अख्तर ने सत्र की अध्यक्षता की और शुरुआत में कहा कि महामारी के प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और राजनीति में चल रहे कई रुझान में तेज़ी आई है। व्यापक प्रभाव में डिजिटल अर्थव्यवस्था, रिमोट वर्किंग एंड लर्निंग, टेलीमेडिसिन और वितरण सेवाएं शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक दक्षिण में रहने वाली दुनिया की दो-तिहाई आबादी की जरूरतों और अधिकारों को मान्यता देने के लिए वैश्विक संस्थानों में शक्ति असंतुलन को ठीक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वह समाज के असंख्य वर्गों पर महामारी के प्रभाव और जेंडर पर महत्वपूर्ण प्रभाव और भविष्य के नुस्खे के लिए डॉ. क्लारो के विश्लेषण की प्रतीक्षा कर रही हैं।
डॉ. ऑगस्टो लोपेज़ क्लारोस ने महामारी से मिले सबक पर एक सारगर्भित व्याख्यान दिया, जिसमें बताया गया कि अनुभव ने हमारी आर्थिक प्रणाली के लचीलेपन के बारे में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रोफेसर नजमा अख्तर के बिंदुओं को उठाते हुए उन्होंने भविष्य के लिए सबक और नुस्खों पर चर्चा की, इस तथ्य से शुरू करते हुए कि सुसज्जित सैन्य प्रतिष्ठानों से लेकर मानव सुरक्षा और विकास के मापदंडों, स्वास्थ्य और शिक्षा तक राष्ट्रीय सुरक्षा के अर्थ को फिर से परिभाषित करना आवश्यक है। इसके अलावा उन्होंने कोरोना वायरस और इसी तरह के रोग की एक विशेषता की ओर इशारा किया कि वे पूरी मानव प्रजाति के लिए जोखिम पैदा करते हैं। और इसलिए सुरक्षा नेट को व्यापक बनाना एक अच्छा निवेश है।
डॉ. आर्थर एल डाहल ने इकोलोजिकल और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया और बाजार के नियोक्लासिकल इकोनॉमिक पैराडिग्म की धारणा पर सवाल उठाया और इकोलोजिकल अर्थशास्त्र के लिए एक प्रेरक दलील दी।
लेक्चर थियेटर, जामिया फैकल्टी और विभिन्न विषयों के छात्रों से खचाखच भरा हुआ था और इसके बाद एक बहुत ही जीवंत प्रश्नोत्तर सत्र हुआ। विशेषज्ञों ने उनके द्वारा सह-लेखक और सीयूपी द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘ग्लोबल गवर्नेंस एंड द इमर्जेंस ऑफ द ग्लोबल इंस्टीट्यूशंस फॉर द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’ पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट लाइब्रेरी को भेंट की।
सरोजनी नायडू सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज, जामिया की फैकल्टी और जेंडर एक्टिविस्ट डॉ. फिरदौस अजमत सिद्दीकी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।