उबैदुल्लाह नासिर का लेख: खरगे जी गठबंधन के साथ ही साथ कांग्रेस का अपना संगठन भी मज़बूत कीजिये
(उबैदउल्लाह नासिर)
राहुल गांधी की 4 हज़ार किलोमीटर लम्बी भारत जोड़ो यात्रा और दलित समुदाय से सम्बन्ध रखने वाले वरिष्ट नेता मल्लिकार्जुन खर्गे का लोकतान्त्रिक ढंग से कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाना मुर्दा पड़ी कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुआ है,जिसका सुबूत हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में उसकी शानदार सफलता और मध्य प्रदेश छत्तीस गढ़ तिलंगाना यहाँ तक कि राजस्थान में भी उसकी सफलता के पक्के आसार हैं I यही नहीं जिस कांग्रेस को सियासी पंडित और अन्य विपक्षी दल बिलकुल रिजेक्ट कर रहे थे अब उसके नेत्रित्व में गठबंधन की नई केन्द्रीय सरकार बनने की उम्मीद कर रहे हैं यहाँ तक कि कांग्रेस और बीजेपी से समान दूरी बना कर तीसरा मोर्चा खड़ा करने की बात भी अब किसी की जबान पर नही आती I
लेकिन इसके साथ ही यह भी सच है की पार्टी के सामने अभी बहुत से अंदरूनी चैलेंज है I पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हुए 9 महीने बीत चुके हैं लेकिन पार्टी की सब से महत्वपूर्ण पालिसी बनाने वाली कमेटी CWC का अभी तक गठन नहीं हो सका है हालांकि अध्यक्ष के चुनाव के बाद पार्टी के राय पुर में हुए इजलास में अध्यक्ष को नई कमिटी के गठन का अधिकार दे दिया गया था मगर अभी तक पुरानी संचालन कमिटी से ही काम चलाया जा रहा है I मिली सूचनाओं के अनुसार पार्टी में श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा के रोल को ले कर भी असमंजस की स्थित बनी हुई है पार्टी का एक वर्ग उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनवाना चाहता है I वास्तव में यह वह जड़विहीन खुदगर्ज़ नेताओं का गिरोह है जिसकी ताक़त केवल चाटुकारिता और लगाईं बुझाई है यह अपने गाँव की प्रधानी और अपने शहर का सभासदी का चुनाव नहीं जीत सकते लेकिन कांग्रेस में लोकसभा से ले कर सभासदी तक का टिकट बांटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं यही लोग राहुल गांधी की तमाम मेहनत कुर्बानी और तपस्या को बर्बाद कर देना चाहते है Iयह भी सूचना है की राहुल गांधी ने प्रियंका को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की तजवीज़ को सख्ती से ख़ारिज कर दिया है और अपना यह स्टैंड दोहराया है कि उनके परिवार के किसी सदस्य को कोई आउट ऑफ़ टर्न पोस्ट नहीं मिलेगी Iदरअसल अगर प्रियंका गाँधी वाड्रा कार्यकारी अध्यक्ष बन जाएँ तो पार्टी में सत्ता के दो केंद्र हो जायेंगे और असल ताक़त प्रियंका गांधी के हाथ में होगी, खरगे जी रबर स्टाम्प अध्यक्ष बन के रह जायेंगे इससे आरएसएस बीजेपी और मीडिया के कांग्रेस विरोधी तत्वों को परिवारवाद और रबर स्टाम्प अध्यक्ष का इलज़ाम दोहराने में मदद मिएगी और वह तूफ़ान बदतमीज़ी खड़ा होगा जिसकी काट कांग्रेस नहीं कर पाएगी और लोकतान्त्रिक ढंग से पार्टी अध्यक्ष चुनने की उसका शानदार रिकॉर्ड छिन्न भिन्न हो जायेगा I राहुल गाँधी यह स्थिति नहीं आंने देना चाहते I वैसे भी प्रियंका जी पार्टी की महासचिव हैं ही,उनकी जबर्दस्त लोकप्रियता भी है चुनाव जितवाने में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता हालांकि उत्तर प्रदेश में वह फ्लॉप हो गयी थीं जिसका मुख्य कारण वह नहीं बल्कि उनकी वह टीम थी जिसने पीसीसी को अपनी मुट्ठी में कर रखा था प्रदेश अध्यक्ष को रबर स्टाम्प बना रखा था उसकी कुछ चलती नहीं थी टिकट वितरण से ले कर छोटा बड़ा हर फैसला यही चौकड़ी करती थी, पुराने कांग्रेसी अपनी इज्ज़त बचाए किनारे बैठे थे I
आज भी यह आश्चर्य की बात है की लोकसभा को 80 सीटें देने वाले उतर प्रदेश की तरफ पार्टी के नेत्रित्व कोई ध्यान नहीं दे रहा है I असम्बली का चुनाव हुए इतना लम्बा समय बीत गया मगर पार्टी की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लखनऊ का रुख नहीं किया खरगे जी के भी अध्यक्ष बने 9-10 महीने हो गए उन्होंने भी एक बार इधर नज़र उठा कर नहीं देखा I बहुत दिनों तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद भी खाली रहा प्रियंका की इसी टीम के वर्चस्व के कारण कोई सीनियर लीडर यह पद संभालने के लिए तैयार नहीं था I प्रियंका गांधी के यही 2-3 विश्वस्त लोग ही पीसीसी चलाते रहे लेकिन वास्तव में इन लोगों ने पार्टी को उतर प्रदेश में समाप्ति के कागर पर खड़ा कर दिया है I फिर बसप से कांग्रेस में आये पूर्व सांसद ब्रिज लाल खाबरी ने यह ज़िम्मेदारी कुबूल तो कर ली लेकिन वास्तविकता यह है कि पीसीसी दो गुटों में बंटी हुई है जिसके कारण नए प्रदेश अध्यक्ष अभी तक अपनी टीम नहीं बना पाए हैं I यह भी एक कटु सत्य है कि प्रियंका गांधी के यह विश्वस्त लोग पुराने कांग्रेसियों की हलक से नहीं उतरते न यह लोग पुराने कांग्रेसियों को महत्त्व देते हैं दोनों गुटों के बीच शीत युद्ध चल रहा है और यह तब तक चलेगा जब तक कोई धाकड़ तगड़ा नया प्रभारी महासचिव नहीं आ जाता I बहुत दिनों से नए प्रभारी महासचिव के आने की बात हो रही है कई नाम भी सामने आये मगर कोई निर्णय नहीं हो सका है Iकौन यह निर्णय रोक रहा है यह तो खरगे जी ही जानते होंगे I
कांग्रेस के शुभचिंतकों और अधिकतर कार्यकर्ताओं को एक बात और बहुत अखर रही है वह है खरगे जी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर को चुनाव बाद पार्टी में अलग थलग कर देनें का प्रयास Iयह प्रयास कांग्रेस की परम्परा के खिलाफ है याद करिए सोनिया गांधी ने अपने खिलाफ चुनाव लड़ने वाले स्व कुंवर जितेन्द्र प्रसाद को अपना political advisor नियुक्त कर दिया था और उनके देहांत के बाद उनकी विधवा और फिर बेटे को राजनीति में स्थापित किया था यह बात अलग है की बेटे जीतिन प्रसाद ने बाद में धोका दे दिया I खरगे जी ऐसी सहृदयता और बड़प्पन क्यों नहीं दिखा रहे हैं ? अब तक जितने लोग भी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ कर दुसरे नम्बर पर आये है उनमें सब से अधिक करीब 1100 वोट पाने का रिकॉर्ड शशि थरूर ने ही बनाया है I वह राहुल गांधी, प्रियंका गाँधी वाड्रा और खरगे जी के बाद सब से अधिक लोकप्रिय कांग्रेसी नेता है जो देश भर में ही नहीं विदेशों में भी अपनी अलग पहचान रखते हैं I देश के बुद्धजीवियों नवजवानों और महिलाओं में उनकी लोकप्रियता अभूतपूर्व है I ऐसे नेता का सदुपयोग करने के बजाये पार्टी उन्हें अलग थलग करने का प्रयास कर के अपना ही नुकसान कर रही है I कहा जाता है कि केराला के ही पार्टी के संगठन सचिव वेणुगोपाल से उनकी सियासी रस्सा कशी के कारण उन्हें पार्टी में महत्त्व नहीं दिया जा रहा है यह दुखद है खरगे जी को इस पर ध्यान देना चाहिए I
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अधिकतर कार्यकता समाजवादी पार्टी से गठ्बन्धन को ले कर भी खुश नहीं हैं उनका तर्क यह है कि विगत तीस पैंतीस वर्षों की गठ्बन्धन की राजनीत ने ही कांग्रेस को आज इस हालत में पहुंचा दिया हैं मुलायम सिंह रहे हो या मायावती सब ने कांग्रेस से गठ्बन्धन करके उसे नुक्सान ही पहुँचाया है मुसलमानों और दलितों का उसका पक्का वोट बैंक छीन लिया आज की स्थिति में यह दोनों वोट बैंक कांग्रेस की तरफ वापस आ रहे हैं Iविगत विधान सभा चुनाव में ही यह स्पष्ट हो गया था की लोक सभा चुनाव में 80 -90 प्रतिशत मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिलेगा समाजवादी पार्टी का यादव वोट बड़ी संख्या में बीजेपी को चला गया है अगर मुस्लिम वोट कांग्रेस की तरफ आ जाता तो समाजवादी पार्टी सिफर हो जाएगी खरगे जी और खाबरी जी की वजह से दलित वोटों का बड़ा हिस्सा कांग्रेस की तरफ आ रहा है योगी जी के ठाकुरवाद के चलते पंडित वोट भी कांग्रेस की ओर देख रहा है जो उसका पुराना घर है कांग्रेस अगर बीजेपी को उत्तर प्रदेश में समेटना चाहती है तो उसके सवर्ण वोट बैंक को तोडना ज़रूरी है I मगर समाजवादी पार्टी से गठबंधन के कारण यह सारी सियासी गणित फेल भी हो सकती है I 2017 का असम्बली चुनाव याद कीजिये कैसे 2 लड़कों (राहुल अखिलेश ) का गठबंधन चारों खाने चित हो गया था I दलित और सवर्ण विशेषकर पंडित गठबंधन की ओर न आये तो मुस्लिम वोटों का यह ध्रुवीकरण उलटा भी पड़ सकता है I बीजेपी पूरी ताक़त से यह मुद्दा उछालेगी I सियासी पंडितों का भी ख्याल ही कि इस गठबंधन से समाजवादी पार्टी को तो संजीवनी मिल सकती है मगर जब तक कांग्रेस बीजेपी के सवर्ण वोटो में सेंध नहीं लगाएगी तब तक उस को कोई ख़ास लाभ नहीं होगा I बीजेपी पसमांदा मुस्लिम कार्ड खेल कर और बसप अधिक से अधिक मुसलमानों को टिकट दे कर भी गठ्बंधन को फलीता लगायेंगे Iकांग्रेस के दिग्गजों का कहना है की स्थिति बहुत कुछ 2009 जैसी है I मुलायम सिंह तब कांग्रेस को 5-6 से ज़्यादा सीटें देने को तय्यार नहीं थे इस बार अखिलेश भी यही चाहते थे लेकिन लोकदल के जयंत चौधरी ने दूरअनदेशी दिखाते हुए अखिलेश को कांग्रेस को ज़्यादा सीटें देने पर राज़ी कर लिया है I 2009 में कांग्रेस अलग लड़ कर 21 सीटें ले आई थी इस बार वह कितनि सीटों पर लड़ेगी और कितनी जीत पाएगी यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल है I राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है इस बार उत्तर प्रदेश समेत हिंदी पट्टी में वह ज़्यादा समय देंगे इसका लाभ INDIA को निश्चित ही होगा लेकिन खरगे जी को अपनी सेना भी तैयार रखनी होगी बूथ से ले कर CWC तक तुरंत सैनिक तयनात कर दिए जाने चाहियें क्योंकि दुश्मन सचेत भी है ताक़तवर भी है साधनसम्पन्न भी है और चालाक ( Wicked) भी I