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THN स्पेशल समाचार

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रवीश का लेख : पहली तिमाही की जीडीपी -23.9 प्रतिशत, मोदी जी आपका कोई विकल्प नहीं है

आज जीडीपी के आंकड़े आए हैं। भारत की किसी भी पीढ़ी ने ये आंकड़े नहीं देखे होंगे। 5 अगस्त को नए भारत के उदय के बाद इन आंकड़ों ने रंग में भंग डाल दिया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी -23.9 प्रतिशत…

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ख़न्दाज़न मेरे लबे-गोया पे है दर्दे-निहाँ, नफ़ा पहुँचानेवालों को अल्लाह ज़मीन में पाएदारी अता करता है : कलीमुल हफ़ीज़

कलीमुल हफ़ीज़ राम-मन्दिर की आधार शिला के बाद हिन्दुस्तानी मुसलमान ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। हिन्दुस्तान की तहरीके-आज़ादी के लिये क़दम-क़दम पर अपने त्याग और क़ुर्बानी के निशानात देख रहे हैं, उन्हें दिल्ली से लाहौर तक के हर पेड़ पर मुसलमान मुजाहिदीने-आज़ादी…

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राष्ट्रीय खेल दिवस : देश की राष्ट्रीय खेल हॉकी की क्या दुर्दशा है उसपर कोई तब्सिरा करना बे मानी है…

ख़ुर्शीद अह़मद अंसारी पिछले साल जश्न ए रेख़्ता में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी से मिलने नेशनल स्टेडियम गया था। स्टेडियम के गेट पर एक बड़ी सी कांस्य मूर्ति के छत्र छाया में तस्वीर खींची(सेल्फ़ी) और उस मूर्ति के पीछे छुपी हुई सारी दास्तान एकसरे पर्दा ए…

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पटेश्वरी प्रसाद का लेख : समझा है जिस क़द्र हक़ और शहीदाने कर्बला को, बाबा-ए-कौम तेरी एही अदा दुनिया पे…

समझा है जिस क़द्र हक़ और शहीदाने कर्बला को, बाबा-ए-कौम तेरी एही अदा दुनिया पे छा गयी।। महात्मा गाँधी का शुमार बीसवीं सदी के अज़ीम शख़्सियात में किया जाता है। गाँधी की शख़्सियत मुख़्तलिफ़ रंगों की आईना-ए-दार थी। उनकी ज़ात में क़ुदरत ने बैयकवक़त बहुत…

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अनवर अब्बास का लेख : मुहर्रम, हुसैनीयत और भारत

महर्रम कोई पर्व नहीं शोक का महीना है। इस महीने के शोक दिवसों से हमारा शताब्दीयों पुराना संबंध है। विपरीत और घातक परिस्थितीयों में भी हम  अपने अपने सांस्कृतिक रूप में शोक मनाते,अज़ादारी करते रहे हैं,और हम ऐसा क्यों न करते कि हमारी रचना तथा…

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क्या मोदी सरकार ने शिक्षा और शिक्षक को चौराहे पर बिकने वाला बिकाऊ माल बना कर रख दिया है ?

शिक्षक पढ़ाने में अपनी डिवाइस , अपना डेटा, अपनी बिजली खर्च कर रहा है। स्कूल-कॉलेज फीस पूरी ले रहे हैं और शिक्षक को पहले से कहीं ज्यादा समय देने के बाद भी उसे सैलरी या तो आधी-पौनी दे रहे हैं या फिर नहीं दे रहे…

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लेख : मोदी सरकार, उसके समर्थक व मीडिया अपनी पूरी क्षमता के साथ तब्लीग़ी जमात के बहाने एक समुदाय के…

अनिल जैन अपने देश में जब-जब भी न्यायपालिका को लेकर लोगों का भरोसा डिगने लगता है और वे हताश-निराश होने लगते हैं, तब-तब न्यायपालिका के किसी न किसी हिस्से से ऐसी कोई आवाज़ आ जाती है, जो आश्वस्त करती है कि अभी सब कुछ ख़त्म…

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लेख : एक थी ‘छप्पन छुरी’ : ध्रुव गुप्त

ध्रुव गुप्त बीसवी सदी के पूर्वार्द्ध ने भारतीय उपशास्त्रीय संगीत का एक स्वर्णकाल देखा था। ठुमरी, दादरा, पूरबी, चैती कजरी जैसी गायन शैलियों के विकास में उस दौर की तवायफ़ों के कोठों का सबसे बड़ा योगदान था। तब वे कोठे देह व्यापार के नहीं, संगीत…

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लेख : आज कल होता गया और दिन हवा होते गए : कलीमुल हफ़ीज़

दुनिया में रोशनी की रफ़्तार बहुत तेज़ है। अंतरिक्ष में रोशनी की रफ़्तार 299,792,458 मीटर प्रति सेकंड है। लेकिन रोशनी की रफ़्तार से भी ज़्यादा तेज़ रफ़्तार वक़्त की है। वक़्त दबे पाँव चला जाता है। कल के बच्चे आज जवान हो गए और कल…

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Jammu & Kashmir : क्या नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ फ़ारूक़ अब्दुल्ला की बैठकों से राजनीतिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी…

नई दिल्ली :  हाल ही में मोदी सरकार की ओर से भी तब राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के संकेत मिले जब लेफ़्टिनेंट गवर्नर पद पर एक नौकरशाह जीसी मुर्मू की जगह राजनीतिक नेता मनोज सिन्हा की नियुक्ति की गई, हाल के दिनों में…