नई दिल्ली: ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉन्सन जब कोरोना से संक्रमित हुए और उन्हें इन्टेंसिव केअर यूनिट में दाखिल कराया गया, वे इतने बीमार थे कि डॉक्टर इस पर विचार कर रहे थे कि यदि उनकी मौत हो गई तो वे क्या करेंगे, ख़ुद जॉन्सन ने एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में यह कहा है, एनडीटीवी में छपी एक ख़बर के अनुसार, जॉन्सन ने ‘सन’ पत्रिका से कहा, ‘यह बहुत ही कठिन क्षण था, मैं इससे इनकार नहीं करता, स्टालिन युग में जैसी मौत होती थी, वैसी स्थिति के लिए उन्होंने तैयारी कर ली थी,’ 

ब्रिटिश पीएम ने कहा, ‘मैं बहुत अच्छी स्थिति में नहीं था, मैं यह समझ रहा था कि आपात स्थिति की तैयारी कर ली गई है, यदि मामला बिगड़ गया तो क्या करना है, डॉक्टरों ने इसकी तैयारी कर ली थी,’ बोरिस जॉन्सन में 27 मई को कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए गए, उन्होंने कहा कि सिर्फ हल्के लक्षण थे, उन्होंने ख़ुद को आइसोलेट कर घर पर क्वरेन्टाइन कर लिया, पर एक हफ्ते बाद भी वे इससे उबर नहीं सके, जॉन्सन को 5 अप्रैल को नेशनल हेल्थ सर्विस के अस्पताल में भर्ती कराया गया, 24 घंटे बाद ही उन्हें इन्टेंसिव केअर यूनिट भेज दिया गया,

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अगले तीन दिन तक इन्टेंसिव केअर यूनिट में कंज़रवेटिव पार्टी के इस नेता को ऑक्सीज़न दिया गया, वह वहाँ एक हफ़्ते तक रहे और 12 अप्रैल को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली, जॉन्सन ने इंटरव्यू में कहा कि वह लगातार सोचते रहे कि इससे कैसे उबरें, कैसे बाहर निकलें, उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि वह मरने जा रहे हैं, जॉन्सन उसके बाद पिता बने, उनकी पार्टनर केरी साइमंड्स ने बेटे को जन्म दिया और यह उस समय हुआ जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री अस्पताल में पड़े-पड़े ऑक्सीजन ले रहे थे,

एनडीटीवी के मुताबिक़, उन्होंने पत्रिका को बताया कि वह काफी कुंठित महसूस कर रहे थे और कुछ संक्रमण से बाहर निकलने के बारे में कुछ भी नहीं सोच पा रहे थे, पर उन्हें वास्तविक स्थिति का भान उस समय हुआ जब उन्होंने पाया कि डॉक्टर उन्हें वेंटीलेटर लगाने की सोचने लगे, जॉन्सन ने कहा, ‘डॉक्टर यह सोचने लगे कि वे सबके सामने इस स्थिति को कैसे पेश करेंगे, अजीब स्थिति थी,’ ब्रिटिश प्रधानमंत्री और उनकी पार्टनर साइमंड्स ने अपने बच्चे का नाम दो डॉक्टरों निक हार्ट और निक प्राइस के नाम पर रखा, बच्चे का नाम रखा गया, विल्फ्रेड लॉरी निकोलस जॉन्सन,

ये दोनों ही छुआछूत से फैलने वाले रोगों और वेन्टीलेटर के विशेषज्ञ हैं, साइमंड्स ने इंस्टग्राम पोस्ट में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि बोरिस जॉन्सन की जान बचाने में इन दोनों डॉक्टरों की अहम भूमिका रही है, एनडीटीवी के अनुसार ‘सन’ पत्रिका ने कहा कि बोरिस जॉन्सन अपनी बीमारी की बात करते हुए बहुत भावुक हो गए और कहा कि उनका ठीक होना बहुत ही असाधारण बात है, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि वे अपने रोग की गंभीरता को लगातार नकारते रहे और सामान्य रूप से काम करते रहे, वे शुरू में अस्पताल जाना नहीं चाहते थे, पर डॉक्टरों ने उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने के कारण उन पर दबाव डाला और भर्ती होने के लिए मजबूर किया,

बोरिस जॉन्सन ने जिस दिन यह बात कही, उसी दिन ब्रिटेन में 621 लोगों की मौत हो गई, इससे पूरे देश में मरने वालों की संख्या बढ़ कर 28,131 हो गई, पूरे यूरोप में इटली के बाद यह सबसे बड़ी संख्या है

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