नई दिल्ली : डॉ कफील खान के अलीगढ़ में CAA /NPR /NRC के विरोध में दिए जिस भाषण को भड़काऊ बता कर उत्तरप्रदेश सरकार ने रासुका लगा कर 8 माह जेल में रख कर प्रताड़ित किया था.
उसी भाषण को सुनकर माननीय उच्च न्यायलय इलाहाबाद एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि भाषण में किसी भी प्रकार से देश को तोड़ने की नही बल्कि देश को जोड़ने की बात कही गई थी ।
किसी भी प्रकार का कोई भी सबूत न मिलने के कारण न्यायालय द्वारा डॉ कफील खान के ऊपर लगाए रासुका को अवैध करार कर बाइज़्ज़त बरी कर दिया ।
उस FIR को पूर्णरूप से समाप्त करने के लिए डॉ कफील खान ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक अपील दायर की है ।Filing no A482 / 34681 / 2020 CNR UPHC010550172021 दिनाँक- 23-03-21 दिन मंगलवार को सुनवाई हुई ।
माननीय जज महोदय ने इस बात को माना कि डॉक्टर कफ़ील के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और गिरफ़्तारी में पुलिस ने क़ानूनी प्रक्रिया का जैसे शासन से अनुमति लेना नहीं की।
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