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सरकार से बातचीत का ऑफर ठंडे बस्‍ते में, बोले किसान- कोई जल्‍दी नहीं, कानून वापस होने तक हाइवे पर ही रहेंगे

नई दिल्ली : तीनों नए कृषि बिलें के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन को एक माह हो गया है, मोदी सरकार के साथ कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही, बातचीत के नए प्रस्‍ताव पर किसान संगठन क्‍या जवाब देंगे.

पीएम मोदी ने कहा था कि सरकार आंदोलनरत किसानों से बातचीत करने को तैयार है, हालांकि किसान यूनियन कानूनों को वापस लेने’ की अपनी प्रमुख मांग पर अड़ी हुई हैं, किसान यूनियनों ने कहा, “हमें कोई जल्‍दी नहीं है और हम हाइवेज पर तबतक रहने वाले हैं जबतक कानून वापस नहीं हो जाते.”

ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमिटी के महासचिव अविक साहा ने कहा, “किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी चाहते हैं और यही लॉजिक काम करेगा,” नेताओं की राय है कि जबतक सरकार वो शर्तें नहीं बताती जिनके तहत कानूनों को वापस लिया जाएगा.

एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाएगी, ये नेता मिलेंगे और मंत्रालय के पत्र का जवाब तैयार करेंगे, यह जवाब शनिवार शाम तक केंद्र को भेजा जा सकता है.

एक किसान ने कहा, “आज किसानों के प्रदर्शन को एक महीना हो गया है, सरकार को तीनों कानून रद्द कर देने चाहिए, जैसे ही वो होगा, हम अपने-अपने घरों को लौट जाएंगे.”

पीएम मोदी ने पीएम किसान सम्‍मान निधि की किस्‍त ट्रांसफर करते हुए नए कृषि कानूनों पर भी बात की थी, पीएम मोदी ने कहा कि देश किसान किसी के बहकावे में नहीं आएंगे.

पीएम ने विपक्षी दलों पर किसानों को उकसाने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में जब उनकी सरकार थी तब स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को दबाकर रखा गया, लेकिन उन्होंने उसे लागू किया और रिपोर्ट में की गई सिफारिश के अनुसार एमएसपी में बढ़ोतरी की गई.

पीएम मोदी ने नए कानूनों को सराहा और किसानों के खातों में सीधे तौर पर रुपये ट्रांसफर करते हुए कहा, “मैं संतुष्ट हूं कि अब कोई बिचौलिया नहीं है और किसानों को सीधे पैसा मिल रहा है, अब तक 1,10,000 करोड़ रुपये बिना किसी कटौती और कमीशन के जमा किए गए हैं, यह सुशासन है.”

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