नई दिल्ली : मीडिया के द्वारा जारी खबर के मुताबिक राजस्थान के बाड़मेर जिले के सिणधरी के एक छोटे से गांव मोतीसरा में ढाई सौ लोगों के इस्लाम धर्म छोड़ कर हिन्दू धर्म धारण कर लिया।
ख़बर की सत्यता जानने के लिए जब हिन्द न्यूज़ ने खोजबीन की तो मामला कुछ और ही निकला। खोजबीन में पता चला कि जिस परिवार के धर्म परिवर्तन की बात की जा रही है उस परिवार में न तो कोई नाम का मुसलमान है और न कोई कर्म का मुसलमान है।
परिवार के हरजिराम ने बताया कि कंचन ढाढ़ी समाज से ताल्लुक रखने वाला परिवार कई वर्षों से हिन्दू रीति रिवाजों का पालन कर रहा है। वह अपने घरों में हिन्दू त्यौहारों को ही मनाते हैं। इन्ही में से विन्जाराम ने बताया कि उन्होंने कभी भी कोई भी कार्य मुस्लिम रीति रिवाज से नही किया।
इन सबकी स्वीकारोक्ति से पता चलता है कि इनका धर्म परिवर्तन करना केवल दिखावा और साम्प्रदायिक माहौल ख़राब करने का प्रयास है। इसके सिवा इनके धर्म परिवर्तन की की सच्चाई नही है। क्योंकि जब ये न नाम के मुस्लिम हैं और न कर्म के मुस्लिम हैं तो इनके धर्म परिवर्तन की क्या आवश्यकता है।
इसकी गहराई में जाने पर पता चला कि ढाढ़ी समाज के लिए हिंदुओं के धार्मिक/सामाजिक कार्यक्रमों में ढोल बजाने का काम करते हैं। इनकी लगभग आधी जनसंख्या हिंदू समाज में शादियों में ढोल बजाती है। अगर किसी हिंदू जाति को हिंदू धर्मकरण कराया जाए कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। दांडी हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों में शादी या किसी सामाजिक कार्य में शिरकत करते रहे हैं।
यह है सत्यता
इसी परिवार के बुज़ुर्ग सुभनराम ने बताया कि मुगलकाल में हमें डरा धमका कर हमें मुस्लिम बनाया गया था। जब हमें इस बात का पता चला तो हमारे परिवार के सभी 250 सदस्यों ने हवन यज्ञ करके जनेऊ पहन लिया।
हरजीराम, विन्जाराम तथा सुभनराम के बयानों पर ग़ौर करें तो पता चलता है कि मामला मुस्लिमों द्वारा धर्म परिवर्तन का नही है बल्कि हिंदुओं द्वारा ही धर्मकरण का है। जिसे राजनितिक रोटियां सेंकने और साम्प्रदायिक माहौल ख़राब करने के लिये हिंदुओं की घर वापसी बता कर प्रचारित किया जा रहा है।
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