नई दिल्ली : भारत-फ्रांस के बीच हुए राफेल सौदे को लेकर एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, इस बीच रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार से सवाल पूछे हैं.
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि रविवार को खुलासे में सामने आया है कि फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने राफेल बनाने वाली ‘द साल्ट’ कंपनी के ऑडिट में पाया कि 23 सितंबर 2016 के चंद दिनों के अंदर राफेल ने 1,1 मिलियन यूरो एक बिचौलिए को दिए थे, इस सारे खर्जे को गिफ्ट टू क्लाइंट की संज्ञा दी.
रणदीप सुरजेवाला ने कह 60 हजार करोड़ से अधिक के देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे में कमीशन खोरी, बिचौलियों की मौजूदगी और पैसे के लेनदेन ने एकबार फिर राफेल सौदे की परतें खोल दी हैं.
राहुल गांधी की बात आखिर सच साबित हुई है, न खाऊंगा, न खाने दूंगा की दुहाई देने वाली मोदी सरकार में अब कमीशन खोरी और बिचौलियों की मौजूदगी सामने आ गई है.
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राफेल कंपनी का कहना है कि यह पैसा राफेल एयरक्राफ्ट के मॉडल बनाने के लिए दिया था.
AFA ने ‘द साल्ट’ से पूछा कि आपको अपनी ही कंपनी के मॉडल बनाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट हिंदुस्तान की कंपनी को देने की क्या जरूरत थी, आपने इसे गिफ्ट टू क्लाइंट क्यों लिखा और वे मॉडल हैं कहां?
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 10 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा की, 23 सितंबर, 2016 मोदी सरकार ने 36 राफेल विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ 8,7 बिलियन अमेरिकी डॉलर या 7,8 बिलियन यूरो यानी Rs,60,000 करोड़ का औपचारिक समझौता किया..
सुरजेवाला ने कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया जैसा कि भारत सरकार की नीति में भी कहा गया है कि हर रक्षा अनुबंध में इंटेग्रिटी क्लॉज होगा, कोई बिचौलिया, पेमेंट ऑफ कमीशन या रिश्वत नहीं हो सकती है.
बिचौलिया, कमीशन या रिश्वतखोरी के किसी भी सबूत पर आपूर्तिकर्ता रक्षा कंपनी पर प्रतिबंध लगाने, अनुबंध रद्द करने, एफआईआर दर्ज करने और रक्षा आपूर्तिकर्ता कंपनी पर भारी वित्तीय जुर्माना लगाने के गंभीर दंडात्मक परिणाम होते हैं, उन्होंने सवाल किया क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को जवाब देंगे?
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