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आख़िर भारत के लिए एक अन्तरराष्ट्रीय दरवाज़ा क्यों है ईरान?

वहीद यामिनपुरी

वर्ष 1979 के बाद से ईरान के रिवॉल्यूशनरी आर्ट ने बहुत तरक्की की है। ईरान में इस्लामी क्रांति से पूर्व शाह पहलवी और इसके समर्थक देश अमेरिका और सोवियत अथवा वामपंथी विचारधारा की कला का बोलबाला था। इस्लामी क्रांति ने इसमें तीसरा पक्ष जोड़ा। हमारे केन्द्र में आपको ईरानी इस्लामी सभ्यता की नक्काशी, काव्य, साहित्य, मूर्तिकला और अन्य कलाओं के इतिहास की झलक मिलेगी।

ईरानी संस्कृति को माजिद मजीदी जैसे कलाकारों की वजह से सिनेमा से लोगों को जानने का मौक़ा मिला। ईरान के रास्ते में (प्रतिबंधों के माध्यम से) कई मुश्किलें खड़ी की गईं। मगर हमने अरबी, अंग्रेज़ी, स्पेनिश और उर्दू ज़बान के माध्यम से लोगों तक अपनी बात पहुँचाई। आपने हमारे उर्दू टीवी चैनल सहर को देखा होगा। ईरान के सैटेलाइट को भी प्रभावित करके लोगों तक हमारी संस्कृति को पहुँचने से रोका जाता है। आपको बताना चाहता हूँ कि ईरान के न्यूज़ चैनल प्रेस टीवी को जब अमेरिका और ब्रिटेन में लोकप्रियता मिल गई तो इसका प्रसारण बाधित कर दिया गया। आज यह चैनल अफ्रीका में भी नहीं देखा जा सकता। तुर्की में हमारे कार्यक्रमों की काफी लोकप्रियता है। ईरान का सिनेमा और टेलीविजन धारावाहिक काफी लोकप्रिय हैं। हमारे टेलीविज़न के प्रोडक्शन का हम उर्दू में भी तर्जुमा करते हैं।

(सेंटर ऑफ रिवॉल्यूशनरी आर्ट, तेहरान के महानिदेशक वहीद यामिनपुरी की तेहरान में अपने केन्द्र में भारतीय पत्रकारों से बातचीत पर आधारित)

भारत के लिए ईरान एक अन्तरराष्ट्रीय दरवाज़ा है। इसके रास्ते हम ईरान का भी संदेश पहुँचा सकते हैं। हमारे ख़िलाफ़ अमेरिका और इंग्लैंड एक प्रोपेगैंडा चलाते हैं। हम फारसी भाषा की सुरक्षा और प्रचार के लिए कार्य कर रहे हैं। हम भारत के साथ अपने संबंधों को क़ायम रख सकते हैं और भारत को प्यार करते हैं। हमारे प्रधान नेता (सुप्रीम लीडर) अयातल्लाह ख़ामनेई साहब ने उर्दू, फ्रेंच, रूसी और अंग्रेज़ी ज़बान पढ़ने की सलाह दी है। तकनीक के क्षेत्र में ईरान प्रगति कर रहा है और हम अपनी (एंड्राइड) एप्लीकेशन की बदौलत इज़राइल और सऊदी अरब की साज़िश को नाकाम कर देंगे। गूगल ने कई बार हमारी एप्लीकेशन को बंद कर दिया जबकि हम उसकी सार्वजनिक नीति के विरुद्ध कोई कार्य नहीं कर रहे थे।

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