फौजी बूटों के नीचे दबा कराह रहा है पाकिस्तान का लोकतंत्र
(उबैदउल्लाह नासिर)
पाकिस्तान में आम चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आगये लेकिन आज (19 फरवरी ) तक वहां नयी सरकार नहीं गठित हो सकी है क्योंकि नतीजे सेना के मनमुवाफिक नहीं आये हैं I पाकिस्तान के सिलसिले में वहां की ही एक कहावत को ध्यान में ज़रूर रखना चाहिए तभी वहां की राजनीति समझी जा सकती है I वहां कहा जाता है कि पाकिस्तान को 3A चलाते है अर्थात अल्लाह ,आर्मी और अमेरिका I हमेशा की तरह पाकिस्तान के निवर्तमान निर्वाचित प्रधान मंत्री इमरान खां के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने का कुचक्र भी तत्कालीन सेनाअध्यक्ष जनरल बाजवा ने रचा था और उन्हीं के इशारे पर इमरान खां के खिलाफ मुकदमे लिखे गए और उन्हें जेल भेजा गयाI जनरल बाजवा एके रिटायरमेंट के बाद जनरल आसिम वकार सेना अध्यक्ष बने लेकिन पाकिस्तानी फ़ौज की सोच और पालिसी में कोई फर्क नहीं आया Iहालिया आम चुनाव में वैसे तो कई दल मैदान में थे, लेकिन असल मुकाबला दो दलों के या यूँ कह लें दो नेताओं के बीच था एक ओर थे सेनाध्यक्ष जनरल आसिम वकार और दूसरी ओर थे जेल में बंद कई मुक़दमे झेल रहे पूर्व प्रधान मंत्री और पाकीस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इमरान खां, जिनकी तहरीक इन्साफ पार्टी की फ़ौज के इशारे पर पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने मान्यता रद कर दी थी और ख़ुद इमरान खां को ही नहीं उनकी पार्टी के लगभग सभी बड़े नेताओं को जेल में ठूंस कर चुनाव लड़ने के योग्य घोषित कर दिया था Iमजबूरी में इमरान खां ने अपने उम्मीदवारों को आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा वह सब क्रिकेट के बैट का चुनाव चिन्ह ले कर चुनाव लड़े लेकिन पाकिस्तान की जनता को सलामी देनी चाहिये की उस ने न्याय और हक का साथ दिया और इमरान खां के उम्मीदवारों को सब से ज्यादा सफलता दिलाई I इमरान खान के 101 उम्मीदवार जीते एक दुसरे पूर्व प्रधान मंत्री और सेना के दुलारे नवाज़ शरीफ की मुस्लिम लीग (N) के 73 और पीपल्स पार्टी के 54 उम्मीदवार जीते I इमरान खां के उम्मीदवार ने केवल उनके राज्य खैबरपख्तोनख्वामें बड़ी संख्या में जीते बल्कि पंजाब में भी बड़ी सफलता पायी जबकि पंजाब नवाज़ शरीफ और फ़ौज दोनों का मज़बूत किला समझा जाता है I भुट्टो प्युपिल्स पार्टी को सिंध में सफलता मिली I हालांकि इमरान खां के जीते हुए उम्मीदवारों को हराने का हर सम्भव प्रयास किया गया था, नतीजे बदले गए जीत का प्रमाण पत्र देने में खुली धांधली की गयी लेकिन अब सच सामने आ रहा है और लाहौर समेत कई जिलों के चुनाव अधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफ़ा दे कर बताया कि किस तरह उन पर चुनाव का नतीजा बदलने का दबाव डाला गया था I अवाम के हाथों पिटी हुई सेना अब इमरान खां को सत्ता में आने से रोकने के लिए न केवल नवाज़ शरीफ और भुट्टो की पार्टियों पर साझा सरकार बनाने का दबाव डाल रही है बल्कि साम दाम दंड भेद से इमरान के जीते हुए सदस्यों को भी तोड़ने की कोशिश की जा रही है I
पाकिस्तान के सम्बन्ध में एक बात और कही जाती है वह यह कि “हर देश के पास एक सेना होती है लेकिन पाकिस्तानी सेना के पास एक देश है “जिसे वह अपने हिसाब से चलाती है। सेना का मुख्य काम देश की रक्षा करना होता अहै लेकिन पाकिस्तानी सेना दुनिया से अलग है वहां का हर जनरल अछा सिपाही हो या न हो लीज अछा राजनैतिग्य ज़रूर होता है i फ़ौज द्वारा सत्ता पर कबजे का यह सिलसिला वहाँ के पहले स्वदेशी सेना अध्यक्ष जनरल अयूब खां ने शुरू किया था तब से किसी न किसी रूप में यह सिलसिला जारी है अधिकतर तो सीधे सत्ता पर कब्जा का ही रिकॉर्ड है लेकिन कभी कभी पर्दे के पीछे से यह खेल चलता रहा है इस सिलसिले में स्व ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो का एक वाकया बताया जाता है हुआ यह की उनके एक करीबी दोस्त ने उन से फोन पर कुछ सियासी बात करना चाही तो दूसरी ओर से प्रधान मंत्री भुट्टो हूँ हाँ करते रहे रात में भुट्टो ने उन से छुप कर मुलाक़ात की और कहा तुम मरवाओगे मुझे तुम्हें नहीं पता सेना के हेड क्वार्टर में मेरा फोन टेप होता है। भुट्टो ने देश को एक संविधान भी दिया और सेना के तख्ता पलट के खिलाफ कानून बनाया और इसकी सज़ा फांसी रखी गयी उन्होंने फ़ौज पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए एक जी हुजूरिये (yes man )टाइप के जनरल जियाउल हक को 6 सीनियर जनरलों को पीछे करके सेनाध्यक्ष बना दिया मगर यह उनकी जिंदगी की सब से बड़ी गलती बन गया I चुनाव में धांधली को ले कर जब देश में जबर्दस्त विरोध हुआ पूरा पाकिस्तान उस विरोध की चपेट में आ गया तो जनरल जियाउलहक ने मौक़ा गनीमत देख कर भुट्टो की सरकार का तख्ता पलट दिया संविधान रद कर दिया देश में मार्शल ला लगा दिया और भुट्टो पर ह्त्या की एक साज़िश में शामिल होने का मुक़दमा चलवा कर उन्हें फांसी दिला दी I जिया ने 10 साल तक पाकिस्तान को अपने बूटों के नीचे रखा धर्म के नाम पर रेफरेंडम करा के अपनी सत्ता मज़बूत की तथा धर्म और राजनीति का ऐसा घालमेल किया की पाकिस्तान दुनिया में आतंकवाद का अड्डा बन गया और सारी दुनिया में इस्लाम की न केवल बदनामी कराई बल्कि असल इस्लामी शिक्षाएं कही पीछे छूट गयीं अपनी सरपरस्ती में उस ने नवाज़ शरीफ को आगे बढ़ाया हवाई दुर्घटना में उसकी मौत के बाद भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो चुनाव जीत कर देश की प्रधान मंत्री बनी लेकिन उनके हाथ भी फ़ौज ने बाँध रखे थे उनकी हत्या के पीछे भी फ़ौज का ही हाथ बताया जाता है I फ़ौज की हिमायत से ही नवा शरीफ प्रधान मंत्री बने लेकिन जनरल मुशर्रफ से उनकी ठन गयी और उन्हें भी फौजी तख्ता पलट का शिकार होना पडा लेकिन इस बीच पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ी रीढ़ की हड्डी दिखाई और चीफ जस्टिस चौधरी ने फ़ौज को सत्ता से दूर रहने की चेतावनी दे दी जबकि इससे पहले हर बार सुप्रीम कोर्ट ही “आवश्यकता के सिद्धांत’ के तहत मार्शल ला को कानूनी मंज़ूरी देता रहता था, इसके बाद फ़ौज ने सत्ता पर सीधा कब्जा करने के बजाए प्रधान मंत्री को अपनी उँगलियों पर नचाना शुरू कर दिया कहा जाता है कि शुरू में इमरान खां भी फ़ौज की ही मदद से सत्ता में आये थे लेकिन फिर उन्होंने फ़ौज और अमरीका दोनों से पंगा ले लिया जिसके नतीजे में न केवल उनकी सत्ता गयी बल्कि वह जेल में बंद कर दिए गए हैं I यहाँ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस फ़ौज को पाकिस्तानी अवाम अपना रक्षक समझते हैं वही फ़ौज उसके दो टुकड़े करने की ज़िम्मेदार है I बंगालियों पर यह फौजियों का अत्याचार और पश्चिमी पाकिस्तान की पूर्वी पाकिस्तान (अब बंगला देश ) से आर्थिक और सियासी बेइमानी के कारण ही उसके दो टुकड़े हुए थे I चुनाव में बहुमत मिलने पर शेख मुजीब को पहले प्रधान मंत्री की शपथ के लिए इस्लामाबाद बुलाया गया और जब वह ढाका से इस्लामबाद पहुंचे तो उनको शपथ नहीं दिलाई जिससे खिन्न हो कर वह दुसरे दिन ही ढाका लौट आये और बगावत का बिगुल बजा दिया था I
इतिहास फिर अपने आप को दोहरा रहा है इमरान खां को सत्ता से दूर रखने के लिए फ़ौज और सियासी पार्टियाँ जो साज़िश कर रही है वह देश के लोकतंत्र ही नहीं उसकी एकता के लिए भी वैसा ही खतरा है जैसा सत्तर की दहाई में बंगला देश या तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के साथ हुआ था पहले साज़िश शेख मुजीब और बंगालियों के खिलाफ हुई थी इस बार साज़िश इमरान खां और पख्तूनों के साथ हो रही है जबकी वहां भी अलगाव की आवाज़ बहुत पुरानी है जिसे सेना के बल पर दबाए रखा गया लेकिन अगर अवाम उठ खड़े हुए तो सेना का वही हश्र होगा जो पूर्वी पाकिस्तान में हुआ था जनता की ताक़त के आगे सरे हथियार टैंक तोप सब बेकार हो जाते हैं I
पाकिस्तान धर्म और सेना की राजनीति में शामिल होने की कीमत अदा कर रहा है जिसके कारण उस पर एक असफल और बिगडैल देश (Failed and rouge state ) का ठप्पा लग चुका है I जवाहर लाल नेहरु ने यह खतरा आज़ादी के समय ही भांप लिया था इस लिए उन्होंने धर्म और राजनीति के घालमेल से देश को दूर रखा तथा सेना को भी बैरक से बाहर नहीं निकलने दिया I इस के अलावा बहुत से संवैधानिक संस्थाएं बना के यह भी सुनिश्चित किया कि सदन में बहुमत के बल पर कोई शासक तानाशाह न बन जाएI यही कारण है की पडोस में ऐसे सियासी खेल सत्ता पर फ़ौज का क़ब्ज़ा धर्म और राजनीति के घालमेल तथा कमज़ोर संवैधानिक संस्थाओं के कारण वहाँ लोकतंत्र पहले दिन से ही गायब रहा जबकि भारत में वह 70साल तक मोसमों की मार झेलता हुआ भी फलता फूलता रहा लेकिन अब भारत के लोकतंत्र की जड़ों में भी मट्ठा डाला जा रहा है और वह सब कुछ किया जा रहा है जो पाकिस्तान को बर्बाद कर चूका है लेकिन हमारे पास अभी संभलने का मौक़ा है।