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संकल्प लें आज़ादी के इस अमृत महोत्सव में दिलों से नफ़रत की खाई मिटायेंगे

संकल्प लें आज़ादी के इस अमृत महोत्सव में दिलों से नफ़रत की खाई मिटायेंगे

मो राशिद अल्वी (विधिछात्र)

हमारा देश इस वर्ष आज़ादी की 75 वीं सालगिरह को अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। आईये हम सब आज़ादी के इस महोत्सव को साथ मिलकर मनायें और ख़ास बनायें। हर घर तिरंगा लगायें।कुछ वर्षों से हमारे देश को इंसानियत के दुश्मनों की जो बुरी नज़र लगी है। हमारे देश में एकता और भाईचारे के दुश्मनों ने जो नफ़रत की खायी का दलदल बनाया है। आज़ादी के इस अमृत महोत्सव में नफ़रत की उस खाई को अपने दिलों से मिटाना है फिर से पहले जैसी एकता और भाईचारा बनाना है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, हर धर्म, हर वर्ग के लोग इस लहलाते तिरंगा के साये में हाथ से हाथ पकड़ कर साथ खड़े हों और हमारी ज़बान पर हो-
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा
मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है, हिन्दोस्तां हमारा

हमारा देश अमृत का एक घड़ा है जिसकी मिठास की पूरी दुनिया कायल है। जिसके भाईचारे,एकता की मिसाल पूरी दुनिया देती है। हमारे देश को यह आज़ादी इतनी आसानी से नहीं मिली। इस देश को आज़ाद कराने के लिए हमारे स्वातंत्रता सेनानियों ने अपनी जानों को हंसते हंसते कुर्बान कर दिया। हमारे इस प्यारे मुल्क के ख़िलाफ अंग्रेजी हुकूमत ने बहुत साजिशे रचीं। अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ 1857 का विद्रोह जिसमें अंग्रेज़ी हुकूमत ने हमारे देश की एकता और भाईचारे को तोड़ने के लिए, हिंदू और मुसलमानों को बांटने के लिए हमारे सैनिकों को गाय और सुअर की चर्बी के कारतूस दिये उन्होंने हमारी एकता को तोड़ने की बहुत साज़िशे रचीं,हमारी एकता और भाईचारे को तोड़ने का बहुत प्रयास किया। आज़ादी तक गोरे फूट डालो, राजनीति करो की राजनीति को अंजाम देते रहे। लेकिन हम न डिगे और न झुके। हम सब हर धर्म, हर वर्ग के लोग एक साथ मजबूती से खड़े रहे। यदि हम अंग्रेज़ो की साज़िशो का शिकार हो कर धर्म में बंट जाते तो आज हमें आज़ादी के ये दिन देखने को नहीं मिलते।
अंग्रेजों ने धन-बल से हमारे देश के कुछ लोगों को एजेंट बना लिया और उनसे हिंदुस्तान की एकता और भाईचारे में फूट डलवाने की साज़िशे रची गईं। सलाम है देश के उन स्वातंत्रता सेनानियों और महापुरुषों को जिन्होंने अपनी सूझ-बूझ से देश के हर समुदाय को एक माला में पिरोये रखा।हमारे महापुरुषों ने अंग्रेजी हुकूमत की लाख साज़िशो की हवा निकाल दी और डटकर सामना किया। फिर भी देश से जाते जाते गोरे देश में फूट डालो और राजनीति करो के कुछ अंश छोड़ गये और हमारा अखंड भारत पूरी तरह से आज़ाद होते होते दो हिस्सों में बंट गया। यह हमारे देश की एकता पर बहुत बड़ा वार था। जब देश दो हिस्सों में बंट रहा था, तब इस बंटवारे को रोकने के लिए महापुरुषों ने बहुत प्रयास किये पर बंटवारे को न रोक सके। आज भारत में उन गोरों के कुछ अंश, इंसानियत के दुश्मन देश की जनता को बहकाकर देश की एकता-अखंडता और भाईचारे को ख़त्म करने की साज़िशे रच रहे हैं और अपने गलत मंसूबों को कामयाब करना चाहते हैं। प्यारे देशवासियों हमें इंसानियत के दुश्मनों के बहकावे में नहीं आना है। इनके गलत मंसूबों को कभी कामयाब नही होने देना है। हमारा मुल्क इंसानियत से लबरेज़ एक गुलदस्ता है, जिसमें सभी धर्मों के फूल खिलते हैं और उनमें से इंसानियत की खुशबू आती है,एकता और भाईचारे की खुशबू आती है। मेरे प्यारे देशवासियों एकता, भाईचारा और इंसानियत की महकती हुई इस ख़ुशबू को देश की फिज़ाओं में ऐसे ही महकने दो। इसे नफ़रत की आग में धकेलने वाले इंसानियत के दुश्मन ज़ालिम लोगों की कट्टरवादी सोच को देश में मत पनपने दो।

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