उबैद उल्लाह नासिर
महाराष्ट्र में शिव सेना जैसी कैडर आधारित और लठबाज़ पार्टी को तोड़ने में बीजेपी और ED की संयुक्त कोशिश से शुरू किया गया ऑपरेशन लोटस सफल रहा इससे पहले वह कर्नाटक,गोवा और मध्य प्रदेश में भी सफल हो चूका था इससे उत्साहित हो कर झारखंड और बिहार में भी यह operation शुरू किया गया लेकिन दोनों जगह औंधे मुंह गिर गया I झारखंड में आसाम के मुख्य मंत्री हेमंत बिस्वाल सरमा इस operation के मुख्य करता थे कहा जाता है वहां से नोटों का बैग ला रहे झारखंड असम्बली के तीन कांग्रेसी सदस्य बंगाल पुलिस ने धर दबोचा रुपया बरामद कर लिया गया और फिलहाल वह साज़िश असफल हो गयी बिहार में हालांकि बीजेपी सत्ता में शामिल तजी लेकिन पिछले विधान सभा चुनाव से ही वह अपने विश्वासनीय सहयोगी नितीश कुमार को कमज़ोर करने की साज़िश करती रही है जिसके लिए उस ने स्व राम विलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान का उपयोग किया और मन मवाफिक नतीजा भी पाया नितीश इस चुनाव में बहुत कमज़ोर पड़ गए और पहली बार बीजेपी को नितीश की JDU से अधिक सीटें मिलीं I उस समय बीजेपी चाहती तो मुख्य मंत्री की कुर्सी पर दावा कर सकती थी लेकिन उस ने खतरा भांप लिया की अगर वह नितीश सी टकराई तो वह उस से नाता तोड़ कर राष्ट्रीय जता दल और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बना सकते हैं इस लिए मजबूरन उस ने नितीश की ताज पोशी करवा के वाह वाही भी लूटने की कोशश की कि कम सीटें होने के बावजूद उस ने अपने जूनियर पार्टनर को सत्ता सौंप दी I लेकिन वह जो कहावत है न की चोर चोरी से जा सकता है हेरा फेरी से नहीं बिहार में बीजेपी यही खेल खेल रही थी लेकिन नितीश उस से भी दो हाथ आगे निकले और इस से पहले की बीजेपी उन्हें भी ऊधव ठाकरे बना देती उन्होंने उसे ही झटका दे दिया I
दरअसल बीजेपी इस देश पर एक छत्र राज चाहती है मोदी जी चीन के जी शिंग पी रूस के पुतिन और टर्की के अर्द्गान की तरह अजीवन सत्ता में बने रहने का सपना संजोए हैं, विभिन्न राज्यों में चलाया गया ऑपरेशन लोटस उसी सिलसिले की कड़ी है कि जहां विधान सभा का चुनाव बीजेपी न जीत पाए वहां साम दाम दंड भेद द्वारा सत्ता हथिया ली जाए Iबिहार में सत्ता में साझीदार होते हुए भी अपने सहयोगी जनता दल (U) के विधायकों को तोड़ने की कोशिश शुरू की गयी थी जिसकी कमान नितीश के विश्वासपात्र IAS अधिकारी से सियासत में आये आर सी पी सिंह के हाथों में दी गयी थी I बाताते चाकन की आर सी पी सिंह नितीश के करीबी अफसर थे उन्होंने ही उनको राज्य सभा भेजा था मगर बाद में वह भक्त बन गए और मोदी ने नितीश को विश्वास में लिए बिना उन्हें मंत्री बना दिया उसके बाद विधान सभा के अध्यक्ष जो बीजेपी के विधायक हैं उन से भी नितीश की सदन में गरमा गर्म बात चीत हो गयी I नितीश पहले से ही चौकन्ने थे रही सही कसर बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में आये राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने यह कह के पूरी कर दी की देश में केवल बीजेपी ही बचेगी बाक़ी सब पार्टियाँ या तो खत्म हो चुकी हैं या 2025 तक खत्म हो जायेंगी ध्यान रहे की 2025 में ही बिहार विधान सभा का चुनाव है इससे पहले 2024 में लोक सभा का चुनाव होगा नड्डा जी का इशारा था की 2024 में लोक सभा चुनाव तो बीजेपी जीत ही जाएगी 2025 में वह बिहार में नितीश की जनता दल (U) को भी निपटा देगी I नड्डा जी के इस धमकी भरे एलान से नितीश तुरंत एक्शन में आ गए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और आर जे डी अध्यक्ष तेजस्वी यादव से सम्पर्क किया और ऑपरेशन लोटस के जवाब में “ऑपरेशन पलटू” चला के बीजेपी के ख्वाब और उसकी साज़िश को ही पलट के रख दिया I ध्यान रहे कि अपनी सियासी कलाबाजियों के कारण नितीश कुमार का सियासी नाम ही पल्टूराम रख दिया गया था अब तो बीजेपी भी उन्हें इसी नाम से संबोधित कर रही है Iनितीश की इस पलटी मारी को सफल करने और बीजेपी को चित करने में सोनिया गांधी राहुल गांधी राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की दूर दृष्ट और विशाल हृदयता का बड़ा योगदान है कि उन्होंने पिछली कडुवाहट को भुला कर नितीश को सपोर्ट करने का फैसला किया क्योंकि उनकी नज़रे तत्कालिक सियासी फायदे से ज्यादा भविष्य के भारत और उसकी संवैधानिक लोकतंत्र व्यवस्था पर है I
बिहार में नितीश कुमार की इस पलटी से केवल सत्ता पलट ही नहीं हुआ है सत्ता का समीकरण भी बिगड़ा है जिसके दूर गामी परिणाम सामने आ सकते हैं सब से बड़ी बात तो यह है की अब बीजेपी के कोई सहयोगी नहीं बचा है और NDA बस कागजों तक ही सीमित है मोदी जी ने विगत आठ वर्षों पूर्व कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था इस मकसद के लिए वह पूरी संजीदगी से काम करते रहे साथ ही एक एक कर के सहयोगियों को भी निपटाते रहे शिव सेना जनता दल (U) और अकाली दल बीजेपी के सब से पुराने और विश्वासनीय साथी थे आज यह तीनो उनसे अलग हैं AIDMK का वजूद भी करीब करीब समाप्त है शिव सेना को भी जैसे निपटाया वह अभी बिलकुल ताज़ा उदाहरण है अगला नम्बर जनता दल (U) का था मगर नितीश संभल गए I बिहार की राजनीति ही नहीं देश की राजनीति भी इस बदलाव से प्रभावित हो सकती है बशर्त अन्य क्षेत्रीय पार्टियाँ उस खतरे को भांपें जो मोदी अमित शाह की जोड़ी इस देश पर थोप रही है I अगर भक्त और घृणा का चश्मा हटा कर देश के हालात का ईमानदारी से जायजा लिया जाए तो कोई इससे इनकार नहीं कर सकेगा कि देश आर्थिक तौर से खोखला समाजिक तौर से बिखरा हुआ सामरिक तौर से असुरक्षित हो गया है और इस का संवैधानिक लोक तंत्र आज जितने खतरे में है उतना 1975 की इमरजेंसी में भी नहीं था I
देश में कम्युनिस्ट देशों और अरब के तानाशाहों की तरह एक दलीय और एक व्यक्तीय शासन व्यवस्था का बीजेपी और मोदी जी का सपना देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सब से बड़ा खतरा है I साम दाम दंड भेद से इसे साकार किया जा रहा है और सत्ता की पूरी ताक़त झोंक कर अवाम की ब्रेन वाशिंग भी की जा रही है I बीच बीच में बीजेपी और आरएसएस के नेताओं के लोकतंत्र विरोधी बयान भी आते रहते हैं एक सोची समझी स्ट्रेटेजी के तहत संवैधानिक संस्थाओं न्यायपालिका,चुनाव आयोग,मानव अधिकार आयोग,CAG आदि को दंत और रीढ़ विहीन कर दिया गया है ED CBI NIA आदि को सरकार का लठैत बना दिया गया है यह सब संवैधानिक लोकतंत्र के पहरेदार थे ताकि सदन में संख्या के बल पर कोई सरकार निरंकुश न हो जाए इन सब की आज जो दुर्दशा है वह किसी से छुपी नहीं है जिसका अंजाम लोकतंत्र के लिए कितना घातक होगा यह अब दिखाई देने लगा है I देश के समाजी ताने बाने को जिस तरह छिन्न भिन्न किया जा रहा है आर्थिक स्थित जितनी खोखली है,बेरोज़गारी चरम पर है, मंहगाई आसमान छू रही है,चीन जिस तरह घुसता चला आ रहा है और सरकार लफ्फाजी पब्लिसिटी और साम्प्रदायिकता के सहारे चलाई जा रही है I
नितीश कुमार के इस कथित मास्टर स्ट्रोक के बाद हर बार की तरह सियासी लाल बुझाक्कडो ने उन्हें भविष्य के प्रधान मंत्री के तौर पर देखना शुरू कर दिया इससे पहले जब ममता दीदी ने बंगाल में बीजेपी को हराया था तो उन्हें प्रधान मंत्री बनाया जा रहा था फिर कुछ दिन यह संभावना तेलंगाना के मुख्य मंत्री चन्द्र शेखर राव में भी देखी गयी I बिहार में लोक सभा की 40 सीटें है अगर यह सब भी नितीश जीत जाएँ तो कौन से गणित से वह प्रधान मंत्री पद के दावेदार होंगे यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है क्या ममता और चंद्रशेखर राव उन्हें अपना नेता मांन लेंगे ? क्या नितीश जय प्रकाश नरायण, वी पी सिंह, या हरिकिशन सिंह सुरजीत बन सकते हैं जो कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा भानमती ने कुनबा जोड़ा वाली मिसाल सच करने की सलाहियत रखते हैं जय प्रकाश नारायण वी पी सिंह और सुरजीत ने यह असम्भव संभव कर के दिखा दिया था अब उस हैसियत का कोई नेता भारतीय राजनीत में नहीं दिखाई देता Iनितीश आज भले ही कुछ लोगों के आँख का तारा बन गए हों लेकिन उनका अतीत कभी उनका पीछा नहीं छोड़ सकता कडुवी सच्चाई यह है कि उन्होंने किसी वैचारिक मतभेद सेकुलरिज्म और संवैधानिक लोक तंत्र की रक्षा या भारत की आर्थिक समाजिक और सामरिक स्थित से चिंतित हो कर मोदी जी का साथ नहीं छोड़ा है बल्कि शुद्ध सियासी कारणों से अपनी सत्ता और पार्टी बचाने के लिए मोदी जी से अलग हुए हैं I वह स्व अजीत सिंह, जॉर्ज फेर्नान्डेस और वर्तमान में मायावती,ओम प्रकाश राजभर आदि की तरह नितीश भी बिलकुल विश्वास के लायक नहीं है कल वह कौन सा पलटा मार सकते है कोई नहीं जानता I
यह सही है कि नितीश के NDA से बहर आने के कारण बिहार में बीजेपी का गणित गड़बड़ा गया है हालांकि उसे अब भी हिंदुत्व और मोदी के नाम पर विश्वास है और इसी के सहारे वह 2024 का आम चुनाव लड़ेगी I इस के साथ ही यह भी सच है की बिहार में नितीश ने भी अपना मज़बूत वोट बैंक बना रखा है जिसमें महिलायें,अति पिछड़ी जातियां शामिल है, जातिगत जन गणना का पांसा फेंक कर उन्होंने समस्त पिछड़ों को लामबंद करने की कोशिश की है I इसके साथ ही अगर लालू का मुस्लिम यादव गठजोड़ जुड़ जाता है तो बिहार बीजेपी के लिए बहुत बड़ा चैलेंज बन सकता है बिहार में भले ही हिंदुत्व की पैठ भी गहरी हो चुकी है लेकिन वह उत्तर प्रदेश जैसी गहराई तक नहीं पहुँच सकी है वहां की राजनीति अब भी जाति आधारित है I
नितीश ने 2024 के लिए अपनी महत्वकान्छा ज़ाहिर कर दी है अब उनकी उस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए कौन कौन क्षेत्रीय दल उनको अपना नेता मानते हैं कैसा होगा विपक्षी एकता का स्वरुप यह सब अभी भविष्य के गर्भ में है ।लेकिन फिलहाल तो बीजेपी अपने जख्म चाट रही है। नितीश ने आठवीं बार मुख्य मंत्री की शपथ ले कर रिकॉर्ड भी बना दिया है और उसे चिढ़ा भी रहे हैं।
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