महुआ डाबर, बस्ती। आगामी 10 जून को आयोजित होने वाले महुआ डाबर जन विद्रोह दिवस समारोह का पोस्टर बृहस्पतिवार को क्रांति स्थल पर जारी किया गया। पोस्टर रिलीज के बाद उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए शहीद शोध संस्थान के निदेशक सूर्यकांत पांडेय ने कहा कि महुआ डाबर जन विद्रोह आजादी आंदोलन की ज़बरदस्त घटना है। लड़ाका पुरखों के वीरतापूर्ण कारनामों को याद करने से नई पीढ़ी को ऊर्जा मिलती है। जो समाज अपने पूर्वजों का सम्मान नहीं करता उसका कोई भविष्य नहीं होता। घटना के महानायक पिरई खां की स्मृति एवं जंग का इतिहास माध्यमिक शिक्षा में शामिल किया जाना आवश्यक है। यह घटना साबित करती है कि इंसान जुल्मों का हिसाब अवसर मिलते ही लेता है यही उसके जिंदा होने का सबूत है। महुआ डाबर एक्शन को दबाए रखकर आजाद भारत की सरकारों ने एतिहासिक भूल की है। मौजूदा सरकार यहां की 11 सूत्रीय मांगों को मानकर इस इतिहासिक स्थल को पर्यटन के नजरिये से विकसित करे तथा इस घटना के सभी पहलुओं पर शोध कराकर प्रकाशित कराए।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए क्रांतिकारी लेखक शाह आलम ने बताया कि महुआ डाबर जन विद्रोह दिवस पर विविध आयोजन किया जाएगा। जिसमें महुआ डाबर एक्शन के वंशजों और देश के क्रांतिकारी परिवारों के द्वारा महुआ डाबर स्मृति मशाल मार्च निकाला जाएगा। जिला प्रशासन, बस्ती द्वारा आजादी योद्धाओं को सलामी को सलामी दी जाएगी. राज्य अभिलेखागार की तरफ से जंग आजादी-1857 पर केंद्रित फोटो प्रदर्शनी लगाई जाएगी।
मुख्य समारोह के मुख्य अतिथि द्वारा महुआ डाबर एक्शन के महानायकों के वंशजों का सम्मान किया जाएगा। चंबल फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित क्रांतियोद्धा रास बिहारी बोस की आत्मकथा का विमोचन किया जाएगा। देश के विभिन्न क्षेत्रों के कर्मवीरों को क्रांतिवीर पिरई खां सेवा मेडल से नवाजा जाएगा। यूपी बोर्ड की हाई स्कूल और इंटर की परीक्षा में जनपद में सर्वोच्च अंक पाने वाले एक से पांच मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान किया जाएगा। वहीं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देश भक्ति की बयार बहेगी।
क्रांतिवीर पिरई खां स्मृति समिति के संयोजक आदिल खान ने बताया कि महुआ डाबर जन विद्रोह दिवस समारोह के ऐतिहासिक आयोजन को लेकर अलग-अलग टीमें बनाई जारी रही है. राष्ट्रीय स्तर पर तमाम सरोकारी शख्सियतों से संपर्क किया जा रहा है।
कर्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ग्राम प्रधान नूर मोहम्मद खान ने जोर देते हुए कहा कि क्रांतिकारी पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास को दफ़न नहीं होने दिया जाएगा। विश्व फलक पर इस इतिहास को रेखांकित करने के लिए व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जायेगी। इस अवसर पर डॉ. तस्लीम, आलम अंसारी, विजय नाथ, जबीह उल्ला, कुर्बान अली, फिरोज अहमद, पंच राम, डॉ. जहांगीर आलम खान, शमीम खान, राम सेवक यादव, नासिर खान आदि मौजूद रहे।
No Comments: