मालिके अश्तर
साल बीत गया। आज ही का दिन था, दिल्ली में बारिश की वजह से जल्दी ही शाम हो गयी थी। निगमबोध घाट पर लगभग पूरा दूरदर्शन परिवार खड़ा है और सामने नीलम शर्मा का पार्थिव शरीर रखा है। बाहर पानी बरस रहा है और अंदर हम सबकी आँखें भीगी हुयी हैं। जिसकी मुस्कुराहट, आवाज़ और अंदाज़ सब कुछ ज़िंदगीं से भरपूर हों उसके बारे में दिल कैसे यक़ीन मान ले कि उसकी मौत हो गयी है। मुरझाये चेहरों और वीरान आँखों के साथ पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लियें ले जाया जाने लगा। पीछे पीछे उदास क़दमों से हम भी बढ़ने लगे। दिल को अब तक विश्वास नहीं हो रहा कि अब नीलम शर्मा हम से हमेशा को बिछड़ चुकी हैं, ये दस-बीस क़दम का फ़ासला और है फिर उसके बाद उन्हें कभी आमने सामने से नहीं देख सकेंगे।
अंतिम संस्कार शुरू हो चुका है। मैं उनकी चिता को टिकटिकी बांधे देख रहा हूँ। कितनी ही यादें और बातें आँखों के पर्दे पर ज़िन्दा हो उठी हैं। कैसा शानदार व्यक्तित्व आज रुखसत हुआ। वही जिसने दूरदर्शन पर समाचार प्रस्तुति के अपने अंदाज़ से एक मेयार क़ायम किया। वही जिसमें गज़ब की शालीनता थी। वो जिसने ‘तेजस्विनी’ के माध्यम से भारतीय नारी शक्ति की झलक दुनिया के सामने रखी। वही जिसको कभी गुस्से में नहीं देखा गया। ऐसी मुस्कुराती हुई शख्सियत के बारे में जब सुना कि वो बीमार हैं तो लगा ही नहीं कि कितनी बुरी खबर आने को है।
17 अगस्त 2019 की दोपहर न्यूज़रूम में सूचना आई कि नीलम जी नहीं रहीं। पूरा दफ़्तर सन्नाटे में आ गया। जो खुद दुनिया को खबरें सुनाती थीं अब उनके जाने की खबर पढ़ी जानी थी। अपने बुलेटिन के लियें उनकी खबर मैंने लिखी ज़रूर लेकिन ऐसा लगता रहा कि यह एक बुरा सपना है, बस अभी आँख खुल जायेगी। उनके निधन पर सोशल मीडिया पर शोक संदेशों का सैलाब सा आ गया, उसे देख कर अहसास हुआ कि उनके प्रशंसकों की दुनिया कितनी बड़ी है। दूरदर्शन का हर साथी उन्हें अंतिम विदाई देना चाहता था। उनके चले जाने से उदासी पहले ही थी उस पर उस धुंधली शाम की बारिश ने माहौल को और भी ग़मगीन कर दिया। शहर पर रात जल्दी उतर आई थी, पानी लगातार बरस रहा था और बराबर में यमुना खामोशी से बह रही थी। अंतिम संस्कार के बाद हम सब बोझल क़दमों से श्मशान से बाहर निकल आये।
मालिके अश्तर, कॉपी एडिटर, डीडी न्यूज़