रवीश कुमार रोज़ाना मैसेज आते हैं कि सर, हमारी परीक्षा रद्द करवा दें। कोरोना का ख़तरा है। वे जानते हैं कि मैं शिक्षा मंत्री नहीं हूं। न ही यू जी सी हूं। फिर भी लिखते हैं। छात्र सुप्रीम कोर्ट भी गए थे कि परीक्षा न…
ध्रुव गुप्त हिंदी फिल्मों की संगीत यात्रा में मरहूम मोहम्मद रफ़ी एक ऐसा पड़ाव है जहां कान तो क्या, कुछ देर के लिए रूह भी ठिठक जाया करती है। वे संगीत की वह अज़ीम शख्सियत थे जिनकी आवाज़ की शोख़ियों, गहराईयों, उमंग और दर्द के…
हफ़ीज़ किदवई आज के दिन बताइये रोएँ या खुश होएं।एक तरफ है एक कलम जो दुनिया में दस्तक देने आ रही तो दूसरी तरफ चली हुई कलम की आवाज़ की रूह दुनिया को अलविदा कह जा रही। एक तरफ क़िस्से खुद को कहने की क़तार…
रवीश कुमार सरकारी प्रबंधन एक जटिल काम है। इस काम को आम जनता समग्रता में नहीं देख पाती। प्रशासनिक निर्देश की अलग अलग ख़बरों से पता नहीं चलता कि किस तरह से तैयारी की जा रही है। स्थानीय अख़बारों में तो काफ़ी कुछ छपता है…
कभी दलदली जमीन को सूखी धारा में बदलने के लिए अंग्रेजों के जमाने में भारत लाया गया यूकेलिप्टस का पेड़ आज पर्यावरण के लिए मुसीबतों का सबब बनता जा रहा है। सहसवान तहसील क्षेत्र में साल दर साल यूकेलिप्टस का रकबा बढ़ रहा है। पेड़ो…
दया सागर लद्दाख सीमा पर चीनी सेना की जिद और चीन के खिलाफ आम जनता का गुस्सा देखते हुए भारत सरकार ने दबाव बनाने के लिए पहले 59 और अब 47 यानी 106 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया. ये एप्स मोबाइल फोन के जरिए…
ख़ुर्शीद अह़मद अंसारी “यूँ तो आज #27जुलाई है और आज लोगों के राष्ट्रपति अवेल पाकिर जलालुद्दीन कलाम ,मिसाइल मैन की यौम ए वफ़ात पर दिल की गहराइयों से ख़िराज ए अक़ीदत पेश करते हुए मैं 26 जुलाई पर कुछ लिखना चाहता हूँ, कल बेहद मसरूफियात…
कलीमुल हफ़ीज़ अरबी महीना ज़िल-हज्ज का चाँद नज़र आते ही मुस्लिम समाज में हज और क़ुर्बानी की चर्चा शुरू हो जाती है, जो लोग हज की सआदत (सौभाग्य) पा चुके हैं उनकी नज़रों में सारे दृश्य घूमने लगते हैं। क़ुर्बानी के जानवरों के बाज़ार सजने…
कोविड 19 वेबिनार श्रृंखला 3: “यूनानी चिकित्सा,अतीत और वर्तमान;कोरोना के संदर्भ में, कोविड 19 अपडेट और अब तक की शोधयात्रा” इन दो प्रमुख उप विषयों पर जामिया हमदर्द पूर्व छात्र संगठन, सऊदी अरब अध्याय रियाज़ द्वारा आयोजित किया गया। इन विषयों पर मुख्य व्यख्यान देने…
डॉ ख़ुर्शीद अहमद अंसारी कल फिर आएंगे अहल ए चमन पर भूल न पाओगे हमको ख़ुर्शीद 1997 में , चांसलर हाउस, जामिया हमदर्द से मेरे एक बुज़ुर्ग मित्र जैसे सरपरस्त सैयद औसाफ़ साहब का फ़ोन आया था।”ख़ुर्शीद साहब ज़रा सा वक़्त हो तो 1 बजे…