कैसे हो देश के मुसलमानों! रहनुमा ढूंढ रहे हो। नहीं मिलेगा।
अशरफ़ ह़ुसैनी
दरअसल तुम्हारी समस्या क्या है ये तुम्हे पता ही नहीं है। आज जो ज़हर तुम पी रहे हो इसके ज़िम्मेदार भी तुम्ही हो। ये दिन आज नहीं तो कल आना ही था। ज़रा जल्दी आ गया ये भी अच्छा रहा। तुम्हारे बुज़ुर्गों ने इसी दिन के लिए हिंदुस्तान में रहना चुना था। तुम्हे क्या लगा था कि अपनी ज़मीन ना छोड़ने का फ़ैसला करते तुमने देश से वफ़ादारी का सबसे बड़ा सुबूत दे दिया? नहीं। ये सुबूत तुम पिछले 70 सालों से हर रोज़ दे रहे हो। अपने गिरेबान में झांककर देखो कि पिछले 70 सालों में तुमने खुद के लिए किया क्या ? सालों कांग्रेस को अपना हमदर्द समझकर उसकी गोद में बैठे रहे। क्या मिला कांग्रेस से? दो चार सीटें संसद में और पांच दस विधानसभाओ में। जब जब रोये कांग्रेस ने कोई झुनझुना हाथ में थमा दिया। वो तुम्हे बेहोशी में रखते रहे और तुम नहारी पाये से आगे बढ ही ना पाए। तुम इन 70 सालों में अपना मुस्तकबिल सुधार सकते थे। तुम आधी रोटी खाकर अपने बच्चों को बड़े इदारों का हल्केदार बना सकते थे लेकिन तुम पंचर लगाते ही रह गए। तुम चाहते तो संसद में तुम्हारी चालीस फीसदी भागीदारी हो सकती थी लेकिन तुम्हे चैराहों की रौनक बनने से ही फ़ुर्सत नहीं थी। अब चिड़िया खेत चुग चुकी है। पछताने का कोई फ़ायदा नहीं। अब झुनझुना देने के लिए कांग्रेस भी नहीं है। तुम अपने आप को आईनों में देखो। रोज़ पीटे जा रहे हो, रोज़ मारे जा रहे हो, रोज़ जलील हो रहे हो, रोज़ बे-इज़्ज़त हो रहे हो। तुम्हारी आंखे रोना चाहती है लेकिन तुम ठीक से रो भी नहीं पा रहे। अब क्या करोगे? क्या रास्ता है तुम्हारे पास? अब तो तुम्हारी पंचर की दुकान भी नहीं चलेगी, अब तुम चौराहों की रौनक भी नहीं बन पाओगे। क्योंकि अब वो तुम्हारी शिनाख़्त कर रहे है। जैसे ही तुम लोगों की शिनाख़्त होती है, वो तुम्हारे साथ अपना व्यवहार बंद कर देते है।इससे भी मन नहीं भरता तो वो तुम्हे सरेराह पीटते है। तो फिर तुम करोगे क्या ? क्या कहा , औवेसी के पास जाओगे? तुम लोगों को कोई भरम ना हो इसलिए आज लगे हाथों औवेसी का गणित भी समझा देता हूं। बीजेपी सरकार आने से पहले औवेसी की संसद और विधानसभा में कितनी सीटें थी? आज कितनी है? ज़ाहिर सी बात है पहले ज़्यादा है। कैसे बढी उसकी सीटें? जहां उसकी सीटें बढी वहां किसकी सरकार है? जहां से वो जीता या उसके बंदे जीते वहां मुसलमानों के हालात बेहतर हुए? दरअसल ये तुम्हारा तथाकथित मसीहा बीजेपी को हर जगह क्लीन स्वीप दे रहा है। जहां जाता है वहां मुसलमानों को इकठ्ठा करके चार से पांच सीट ले जाता है। कभी सोचा है बाकी बची हुई सीटें कहां जाती है? वो सारी सीटें इकतरफ़ा बीजेपी के खाते में चली जाती है। क्योंकि वोट हिंदु मुसलमान में बंट जाता है। ये जहां जहां गया वहां इसने बीजेपी की सरकार बनवाई। कभी सोचा है जिस मोदी ने तमाम विपक्षी पार्टी के नेताओं को ईडी, आईटी, सीबीआई के भंवर जाल में फंसा रखा है, उसने अब तक औवेसी को क्यूं नहीं फंसाया? वो औवेसी को कभी नहीं फँसाएगा। उसे औवेसी से फ़ायदा मिल रहा है। बाकी विपक्षी पार्टी के नेता हिंदु वोट तोड़ते है इसलिए सबको लाइन से जेल या किसी दूसरे चक्कर में उलझाया हुआ है लेकिम औवेसी सिर्फ मुसलमान वोट तोड़ता है जो बीजेपी को सीधा सत्ता तक पहुंचाता है। मुसलमानों देश के किसी भी राज्य में तुम इस स्थिति में नहीं हो कि वहां पर तुम मुसलमान सीएम बना पाओ। ज़्यादा से ज़्यादा 10 सीटों पर तुम किसी राज्य में अपना ज़ोर लगा सकते हो लेकिन दस सीटो से सीएम नहीं बनते। ख़ैर ये सियासी बातें है। इनसे तुम्हे क्या लेना देना? तुम अगर इन बातों पर ध्यान देने लग गए तो वहाबी, शिया, सुन्नी, सल्फ़ी और हनफ़ियों के नाम पर कौन लड़ेगा। तुम फिरके बांटते चले जा रहे हो और वो मुल्लें काटे जाएंगे पर आमादा है। ये हश्र तुम्हारा होना ही था। सोचकर देखो रोज़ मा खा रहे हो कभी तुम्हारे लिए कोई सड़कों पर निकला? किसी ने तुम्हारी लिंचिंग के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन किया? केजरीवाल, मुलायम, अखिलेश, ममता, माया, राहुल, लालू, तेजस्वी, रामविलास , औवेसी तुम्हारे लिए सड़कों पर निकले ? ये तुम्हारे लिए कभी नहीं निकलेंगे। ये सब नाम सिर्फ सत्ता के लिए सड़कों पर आएंगे। इनको अपने जासूसी की चिंता है। इनको पीएम बनने की चिंता है। इनमे से किसी नेता ने क्या सिर्फ एक बार भी मुसलमानों पर हो रहे जुल्म को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की? ये तुम्हारा नाम तक नहीं लेना चाहते अपने मुंह से। अगर तुम्हारा नाम भी ले लिया तो इनका हिंदु वोट ख़िसक़ जाएगा। तो क्या रास्ता बचा है तुम्हारे पास? कभी नल्ली पायों से फ़ुर्सत मिले तो सोचना।