नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का देर रात दिल्ली के AIIMS में निधन हो गया है। सुषमा स्वराज 67 साल की थीं और 2014 से 2019 तक भारत की विदेश मंत्री रहीं। उनके कार्य करने की शैली सबसे अलग थी, अपने विदेश मंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने विदेश में फंसे कई भारतीयों की मदद की थी, इतना ही नहीं उन्होंने ट्विटर पर लोगों की शिकायतें देखीं तो तुरंत एक्शन लिया।
उनके निधन की ख़बर पर पूर्व सांसद एंव भाजपा के नेता रहे डॉक्टर उदित राज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ट्विट किया है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज जी का हमारे बीच ना रहना अत्यंत खेद है। भारतीय राजनीति से एक प्रखर वक़्ता एवं नेता का अभाव हमेशा रहेगा।
सुषमा स्वराज का जन्म पंजाब के अंबाला में हुआ था, उन्होंने पंजाब विश्विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी। सुषमा भाजपा का शुमार भाजपा के चोटी के नेताओ में होता था, यूपीए के दूसरे कार्यकाल में उन्होंने बेहतरीन विपक्ष के नेता की भूमिका अदा की थी। वे भाजपा की प्रवक्ता भी रहीं, और अटल बिहार सरकार एंव मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहीं।
सोनिया गांधी से हारीं थीं चुनाव
सुषमा स्वराज ने अपनी विरोधी पार्टी की नेता सोनिया गांधी के ख़िलाफ कर्नाटक की बेल्लारी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वे जीत दर्ज नही कर पाईं थीं। जब 2004 में यूपीए को बहुमत मिला और अटकलें लगीं की अब सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगी तब सुषमा ने सबसे पहले सोनिया गांधी के विदेशी होने का मुद्दा उठाया था, उसके बाद सोनिया गांधी ने खुद ही प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया और डॉक्टर मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
पासपोर्ट मामले में हिन्दुवादियो ने किया था ट्रोल
सुषमा स्वराज को साल भर पहले सोशल मीडिया पर निशाना बनाया गया था, निशाना बनाने वाले कोई और नहीं बल्कि उनकी खुद की पार्टी के वे समर्थक थे जो सांप्रदायिकता के सहारे अपनी राजनीति चमकाना चाहते है। दरअस्ल लखनऊ में एक हिन्दु महिला जिसने एक मुस्लिम से शादी कर रखी थी, उसने पासपोर्ट के लिये आवेदन किया था, जिसके बाद पासपोर्ट अधिकारी ने उस महिला को एक मुस्लिम से शादी करने को लेकर अपमानित किया था। पीड़ित महिला ने ट्विट पर इसकी शिकायत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से कर दी जिसके बाद संबंधित अधिकारी का तबादला कर दिया गया और उस दंपत्ति को पासपोर्ट जारी किया गया था। कुछ कट्टरपंथी विदेश मंत्री द्वारा पासपोर्ट अधिकारी पर कार्रवाई करने के खिलाफ थे उन्होंने अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर निकाला और तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को महीनों तक ट्रोल किया, उनके लिये अभद्र टिपप्णियां की गईं।